MP उपचुनाव 2020 : कांग्रेस की मांग- भोपाल में लागू हो आचार संहिता

Pooja Khodani
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दमोह उपचुनाव

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा मध्यप्रदेश उपचुनाव (Madhya Pradesh by-election) MP उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। 3 नवंबर को मतदान होना है और 10 को नतीजे आना है, इसको लेकर 19 जिलों में आचार संहिता (Code of conduct) लागू की गई है। अब जिन सीटों पर चुनाव हैं, वहां सभी तरह के सरकारी निर्माण कार्यों के भूमिपूजन, लोकार्पण और शिलान्यास पर रोक लग जाएगी। उपचुनाव के दौरान कोई नई घोषणा नहीं हो पाएंगी। हालांकि, जो काम पहले से चल रहे हैं, उनमें कोई रुकावट नहीं आएगी।इसी बीच कांग्रेस (Congress) ने राजधानी भोपाल (Bhopal) में आचार संहिता लागू करने की मांग की है। कांग्रेस को शक है कि शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) यहां से वोटरों को प्रभावित कर सकती है।

दरअसल, पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा (PC Sharma) ने चुनाव आयोग से मांग की है कि भोपाल में भी आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू की जाए, ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें आशंका है कि सरकार ट्रांसफर-पोस्टिंग या लोक लुभावन बातों के जरिए चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। इस पर भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल (Rajneesh Agrwal) ने ट्वीट कर तंज कसा है। रजनीश ने लिखा है कि  गनीमत यह है कि कांग्रेस के नेता अब यह मांग नहीं कर रहे हैं कि चुनाव के लिए देश की राजधानी दिल्ली में भी आचार संहिता लागू की जाए। कांग्रेस नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है।

MP उपचुनाव में क्या है आचार संहिता ?

आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता, जिससे किसी दल विशेष को फायदा पहुंचता हो। आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं।सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता। किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस/प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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