भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ ने मुख्य सचिव बीपी सिंह की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके तेवर बदल गए। अब नाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उन्हें मुख्य सचिव के कामकाज को लेकर पूरा भरोसा है। यही वजह है कि उन्होंंने बीपी सिंह के नाम की सिफारिश राज्य चुनाव आयुक्त के पद के लिए की है। मुख्य सचिव बीपी सिंह का कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा हो रहा है। अपने कार्यकाल के पूरा होने से पहले सिंह ने भी मीडिया से चर्चा के दौरान कहा था कि उन्हें नए सीएम कमलनाथ के साथ काम करने का समय कम मिला इसका उन्हें मलाल रहेगा। कांग्रेस भी अब बीजेपी की राह पर चल पड़ी है। पूर्व मुख्य सचिवोंं को बड़े पदों की जिम्मेदारी सौंपने का चलन बीजेपी के तीनों कार्यकाल में देखा गया। अब कांग्रेस भी इस राह पर चलती दिखाई दे रही है।
मजेदार बात यह है कि चुनाव से पहले 30 जून 2018 को कमलनाथ ने चीफ इलेक्शन कमीशन को एक पत्र लिखकर सिंह के कार्यकाल को छह महीने आगे बढ़ाने का विरोध किया था। उन्होंने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए सिंह का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। नाथ ने आशंका व्यक्त की थी कि सिंह चुनाव के दौरान प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर सकते हैं। कांग्रेस नेताओं ने भी इस बात कि मांग की थी कि आचार संहिता के लागू होने के साथ ही सिंह को हटाया जाए। लेकिन सरकार में आने के बाद अब सीएम नाथ को सिंह पर भरोसा होने लगा है। वर्तमान राज्य चुनाव आयुक्त आर परशुराम ने इस्तीफा दे दिया है और उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस का महानिदेशक बनाया जा रहा है। इसलिए राज्य चुनाव आयुक्त का पद खाली हो गया है।
राकेश साहनी अभी भी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। आर परशुराम को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। एंटनी डीसा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) के चेयरमैन हैं। इस बीच, कांग्रेस मीडिया कमेटी की चेयरपर्सन शोभा ओझा ने कहा कि वह टिप्पणी नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्हें बीपी सिंह की राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि मुख्य सचिव बीपी सिंह का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल से समाप्त होने से पहले मीडिया में दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें कमलनाथ के साथ काम करने का कम समय मिला है। इस बात के लिए उन्हें मलाल है। उन्होंने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर कहा था कि उनमें इतनी क्षमता नहीं कि वह सीएम की सीआर लिखें।