हड़ताल से चरमराई प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था, दिग्विजय बोले- राजनीतिक रूप देने की कोशिश

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भोपाल।

पश्चिम बंगाल में डॉक्टर से हुई मारपीट के विरोध में एमपी के डॉक्टर भी हड़ताल पर है। जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी असर पड़ रहा है, सुबह से ही ओपीडी में डॉक्टर मौजूद नही हैं जिसके चलते मरीज परेशान हो रहे है, महिलाएं खून की जांच और उपचार के लिए इंतजार कर रही है और कुछ तो बिना इलाज के लिए वापस लौट रहे है। हड़ताल के चलते पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। इसी बीच प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने इस हड़ताल को राजनैतिक रुप करार दिया है। 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर उठाते हुए ट्वीट करके कहा है कि, जब मध्यप्रदेश में डॉक्टर की सुरक्षा का कानून है तो फिर हड़ताल क्यों की जा रही है, उन्होंने कहा है कि हड़ताल को लेकर राजनीतिक रूप दिया जा रहा है जोकी पूरी तरह अनुचित है। वही डॉक्टर्स के आंदोलन को जीतू पटवारी ने राजनीति से प्रेरित बताया। पश्चिम बंगाल में हुए घटना की निंदा की और कहा कि केंद्र की राजनीति से केंद्रीत होकर इस तरह का आंदोलन होना गलत है। मप्र में डॉक्टरों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। केंद्र की राजनीति से प्रेरित होकर इस तरह की हड़ताल को मैं जायज नहीं मानता हूं । जो लोग दूसरों की जान को बचाने का काम करते हैं उनकी जान-माल की रक्षा करना हमारा दायित्व है।

प्रदेश में कहां कितना असर

भोपाल-राजधानी के हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल समेत निजी अस्पतालों की ओपीडी में भी मरीजों को इलाज नहीं मिला। मरीज जांचों और उपचार  के लिए डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। इसके साथ ही हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में ऑपरेशन भी नहीं होंगे।सभी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। डॉक्टर सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही दे रहे हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में भी ओपीडी का बहिष्कार कर दिया है। 

इंदौर– हड़ताल के समर्थन में आज सुबह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के इंदौर चैप्टर ने एक रैली निकाली। विरोध जताते हुए न्याय की मांग की और नुक्कड़ नाटक कर मरीज और डॉक्टरों के बीच विवाद की स्थिति को समझाने की कोशिश की।

रतलाम– रतलाम में विरोधस्वरूप डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर मरीजों का इलाज किया। सेंधवा में बाबदड गांव से महिलाएं खून की जांच और उपचार के लिए आई, लेकिन डॉक्टर नहीं होने से परेशान होना पड़ा।

बड़वानी-बड़वानी में आइएमए के आह्वान पर शासकीय व निजी डॉक्टर रहे हड़ताल पर। जिला अस्पताल में ओपीडी बन्द रही। इमरजेंसी सुविधाएं चालू रही। इस दौरान दवाई वितरण भी बंद रहा।

उज्जैन-उज्जैन में भी आई एम ए के सदस्य डाक्टरों ने भी अनोखे तरीके से विरोध किया। जिला चिकित्सालय में डाक्टरों ने हाथों में डंडे और सर पर हेलमेट पहनकर विरोध जताया।इसके साथ ही मांग की सभी डाक्टरों को प्रोटेक्शन दिया जाए और बंगाल जैसी घटना की दोबारा घटित ना हो।

मंत्री ने दिए निर्देश

वही प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में विशेष इंतज़ाम रखने के निर्देश दिए हैं। अस्पतालों की भीड़ बढ़ने की संभावना के चलते स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने सभी सीएमएचओ और सिविल सर्जन को व्ववस्थाएं दुरुस्त रखने के लिए कहा है। उन्होंने सभी कलेक्टरों से भी इस संबंध में बात की है।

मप्र में तो डॉक्टरों की सुरक्षा का क़ानून है फिर हड़ताल क्यों? मप्र शासन को क़ानून को सख़्ती से लागू करना चाहिये। मरीज़ों का इलाज डॉक्टर का प्रथम दायित्व है। जो इसे राजनैतिक रूप दिया जा रहा है वह अनुचित है


digvijaya singh (@digvijaya_28) 17 June 2019


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