भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) ने ट्वीट मशहूर जर्मन कवि कवि पास्टर मार्टिन निमोलर (Pastor Martin Niemoller) की कविता ट्वीट (tweet) करते हुए देश के लोगों को जर्मनी में हिटलर के दौर की याद दिलाई है। ये कविता उन्होने उत्तर प्रदेश के बागपत में एक जैन मंदिर में श्रुति देवी की प्रतिमा स्थापित किये जाने पर उठे विवाद के बाद ट्विटर शेयर की है।
दरअसल उत्तर प्रदेश के बागपत में 106 साल पुराने दिगंबर जैन कॉलेज में जमकर हंगामे की खबर है। एबीवीपी (ABVP) कार्यकर्ताओं ने कॉलेज में स्थापित श्रुति देवी की प्रतिमा को बदलकर वहां सरस्वती देवी की प्रतिमा लगाने की मांग की है और इसी दौरान उनपर हंगामा करने का आरोप है। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने धमकी भी दी है कि अगर जल्द ही श्रुति देवी की मूर्ति हटाकर वहां सरस्वती देवी की मूर्ति नहीं लगाई गई, तो वो इसका कड़ा विरोध करेंगे। बता दें कि बागपत में करीब 106 वर्ष पुराना दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज है जो अंग्रेजों के जमाने से संचालित है। इस कॉलेज में जैन धर्म से जुड़ी श्रुति देवी की मूर्ति लगी हुई है। अब एबीवीपी कार्यकर्ता इस मूर्ति को हटवाकर वहां देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कराना चाहते हैं। इनका कहना है कि शैक्षणिक संस्थान में जैन मुनि की मूर्ति का होना, देवी सरस्वती का अपमान है। इधर, जैन समाज ने एबीवीपी के हंगामे के बाद निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
इसी घटना को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रख्यात जर्मन कवि पास्टर मार्टिन निमोलर की कविता ट्वीट की है। दिग्विजय ने इस कविता के माध्यम से लोगों से नफरत फैलाने वालों के खिलाफ खड़े होने और एकजुट रहने की अपील की है।
आइये पढ़ते हैं पास्टर मार्टिन निमोलर की कविता का हिंदी अनुवाद
पहले वे आए सोशलिस्टों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं था।
फिर वे आये कम्युनिस्टों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था।
फिर वे आये ट्रेड यूनियन वालों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं ट्रेड यूनियन में नहीं था।
फिर वे आये यहूदियों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं यहूदी नहीं था।
फिर वे मेरे लिए आये
और तब तक कोई नहीं बचा था
जो मेरे लिए बोलता।
जर्मन कवि- पास्टर मार्टिन निमोलर
मुझे हिटलर राज्य के समय की Pastor Martin Niemoller की वह कविता याद आती है। “First they came for Socialists and I didn’t speak out -Because I was not a Socialist …..
And finally
“Then they came for me -and there was no one left to speak for me”भारत के लोगों को समझना चाहिए। https://t.co/gxtBruy45J
— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) December 24, 2020