भोपाल| मध्य प्रदेश की कठिन सीटों पर बड़े चेहरों को उतारने की रणनीति के तहत कांग्रेस ने सबसे बड़ा दांव भोपाल में खेला है| यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मैदान में हैं| बीजेपी के अभेद किले को ढहाना दिग्विजय के लिए बड़ी चुनौती है| लेकिन दस साल तक मुख्यमंत्री और दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहने के चलते उनके पास बड़ा अनुभव है और चुनाव लड़ना और जीत हासिल करना उनकी रणनीतियों पर ही निर्भर करता है| हाल ही में विधानसभा चुनाव की जीत में भी दिग्विजय की ख़ास भूमिका रही | अब यही रणनीति दिग्विजय भोपाल में इस्तेमाल कर रहे हैं| भाजपा की तर्ज पर दिग्विजय ने भोपाल में बूथ पर ख़ास फोकस किया है|
सिंह ने विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार बूथों की पहचान की है, जहां पार्टी ध्यान केंद्रित करेगी। ये वो बूथ हैं जहां हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस को पिछले चुनावों की तुलना में अधिक वोट मिले थे। सिंह ने यह सुनिश्चित करने के लिए बूथ प्रभारियों की नियुक्ति की है ताकि कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में भाजपा से अधिक वोट मिले। दिग्विजय पूरी तरह से नरेला, गोविंदपुरा, सीहोर और बैरसिया विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान इन सीटों पर बीजेपी हार गई। इन विधानसभा क्षेत्रों में बूथों की पहचान की गई है और कांग्रेस को इन बूथों पर भाजपा से अधिक वोट मिले थे। यह सुनिश्चित करने के लिए भी तैयारी चल रही है कि कांग्रेस को वोट देने वालों को इस बार भी पार्टी के साथ रहने के लिए तैयार किया जाए। सिंह ने हाल ही में विधानसभा क्षेत्र वार प्रभारी बूथ की बैठक बुलाई थी। जिसमे उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि भाजपा के जीतने के पीछे कारण यह था कि भाजपा कांग्रेस की तुलना में बूथ स्तर पर मजबूत थी। सिंह ने पार्टी नेताओं को बूथों पर ध्यान देने और मतदाताओं से पार्टी के पक्ष में वोट प्राप्त करने की जिम्मेदारी दी है।
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और भोपाल केंद्रीय विधायक आरिफ मसूद ने विधानसभा चुनावों के दौरान बूथ स्तर पर ध्यान केंद्रित किया था जिसके कारण उनकी जीत हुई थी। सिंह ने बूथ प्रबंधन के लिए एक टीम बनाई है, जिसमें स्थानीय नेताओं के साथ-साथ पेशेवर भी हैं|