Digvijaya Singh wrote a letter to CM Shivraj : दिग्विजय सिंह जी ने उमरिया जिले सहित पूरे प्रदेश में करोड़ों रुपये कीमत के गणवेश (यूनिफॉर्म) को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इसमें उन्होने गणवेश की गुणवत्ता का मामला उठाते हुए कहा है कि इससे समझौता करने वाले एवं नाप के हिसाब से न देकर छोटी गणवेश देकर भ्रष्टाचार करने वाले वेंडरों, ठेकेदारों, दलालों और अधिकारियों के गठजोड़ की राज्य स्तर से जांच कराई जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि जांच के बाद दोषी पाये जाने पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए।
दिग्विजय सिंह का पत्र
‘विगत कुछ वर्षो में मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क वितरित होने वाली गणवेश की खराब गुणवत्ता के अनेक मामले आये थे। जिस पर शासन ने कोई कार्यवाही नहीं कर गडबडी करने वालों को बढावा दिया है। इसी कड़ी में वेंडरों द्वारा विद्यार्थियों की नाप में गड़बड़ी कर एक नये प्रकार का भ्रष्टाचार किया है। प्रदेश भर के गरीब वर्ग के बच्चों को वितरित की जाने वाली यूनिफार्म में उमरिया जिले में किसी विद्यार्थी के नाप में गड़बड़ी मिली तो किसी को फटी हुई यूनिफार्म प्रदान किये जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। स्थानीय समाचार पत्रों ने इस आश्रय की गडबड़ियां उजागर की हैं। उक्त आशय की एक न्यूज की कटिंग संलग्न है।’
‘उमरिया जिले के स्थानीय समाचार पत्र पीपली एक्सप्रेस में जुलाई 2023 में प्रकाशित खबर से ज्ञात हुआ है कि शासकीय विद्यालयों के गरीब वर्गों के विद्यार्थियों को वितरित की जाने वाली गणवेश में वेंडरों द्वारा विद्यार्थियों के नाप से छोटी गणवेश वितरित की गई हैं, जिससे वे गणवेश कुछ माह में ही फटने लगी है। शाला जाने वाले बच्चे असहज होकर जग हसाई का पात्र बन रहे है। आप यह अच्छी तरह जानते है कि शहडोल संभाग का उमरिया जिला एक अनुसूचित जनजाति बहुल्य जिला है। जिसमें अधिकांश आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी परिवारों की है। आदिवासी परिवारों के स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ यह सिर्फ भ्रष्टाचार ही नही है बल्कि अत्याचार भी है।’
‘मेरा आपसे अनुरोध है कि उमरिया जिले सहित पूरे प्रदेश में करोडों रुपये कीमत की वितरित होने वाली गणवेश की उच्च गुणवत्ता से समझौता करने वाले एवं नाप के हिसाब से न देकर छोटी गणवेश देकर भ्रष्टाचार करने वाले वेंडरों, ठेकेदारों, दलालों और अधिकारियों के गठजोड़ की राज्य स्तर से जांच कराई जाये और दोषी पाये जाने पर एट्रोसिटी एक्ट में प्रकरण दर्ज किया जाये।’