भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही छापामार कार्रवाई का दौर भी शुरू हो चुका है। हाल ही में गुटखा कंपनियों पर प्रशासन ने रेड मारी थी। अब गुटखा कंपनियों के तार राजनीतिक दलों से जुड़़े होने की खबर है। आर्थिक अनियमितता के चलते गुटखा कारोबारियों पर छापामार कार्रवाई की गई थी। इसमें बड़ा खुसासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुाबिक गुटखा कंपनी ने विधानसभा चुनाव होने से पहले एक राजनीतिक दल को 200 करोड़ का चंदा दिया था। अब इसकी जांच में आर्थिक अपराध शाखा जांचपड़ताल कर रही है। गुटखा निर्माण इकाइयों में वित्तीय सहित विसंगतियाँ किसी भी व्यक्ति के ध्यान में नहीं गईं क्योंकि संबंधित विभागों के अधिकारियों ने वर्षों तक इकाइयों में कदम नहीं रखा। छापामारा कार्रवाई के दौरान जो दस्तावेज हाथ लगे हैैं उससे पता चलता है कि राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर बड़ी रकम दी गई है।
कारखाने के मालिक, कमल कांत चौरसिया, कानपुर के निवासी, मताधिकार धारक शेख मोहम्मद आरिफ और भोपाल के वैभव पांडेय ने राजनीतिक दलों को भारी दान देते हुए उनसे अच्छे रिश्ते बनाए। यदि वे किसी भी प्रशासनिक मुद्दों का सामना करते हैं, तो राजनेता अपने पावर का उपयोग करते हुए अधिकारियों को मामला सेट करने के लिए कहते थे। राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाते हुए गुटखा कारोबारियों ने सभी नियम कायदे ताक पर रखते हुए टैक्स में करोड़ों की हेराफेरी की।
सूत्रों ने बताया कि खाद्य एवं औषधि विभाग ने गुटखा में मिलावट पाई थी। श्रम विभाग ने कारखाने में बाल श्रम ’मानदंडों का उल्लंघन पाया है। उसी के बारे में कारखाना प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। वजन और माप विभाग ने थैली में सामग्री और उल्लिखित मात्रा में असमानता पाई। बिजली की चोरी के मामले भी गुटखा इकाइयों के खिलाफ दायर किए जाएंगे क्योंकि वे अनुचित बिजली लोड पर चल रहे थे। विभाग जुर्माना लगाएगा और मालिकों के खिलाफ मामला भी दर्ज करेगा