‘जासूसीकांड’ में नपेंगे एमपी के एक दर्जन से अधिक IAS-IPS

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद पुराने मामलों की फाइलों खुलना शुरू हो गईं हैं। प्रदेश सरकार जल्द ही कथिक फोन टेपिंग और कॉल डिटेल निकालने के मामले की जांच शरू करवाएगी। इसके लिए राज्य सभा सांसद विवेक तन्खां ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर इस मामले में जांच करवाने के लिए कहा था। जांच के दायरे  में करीब प्रदेश के 12 से अधिक अफसर आ सकते हैं। 

दरअसल, व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर प्रशांत पांड ने एसटीएफ के लिए काम किया था। उनकी ओर से ऐसा दावा किया गया है कि कथित फोन टेपिंग और कॉल डिटेल निकालने का मामला आया था। यही नहीं उन्होंने अपनी याचिका मे एसटीएफ और एटीएस का भी उल्लेख किया है। राज्य सरकार अब इस मामले की जांच करवाने जा रही है। जांच के दायरे में वर्तमान और तत्कालीन अफसर आ सकते हैं। जिनकी मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। 

तनखा के पत्र के मुताबिक याचिका में कहा गया है कि 2009 से 2014 के बीच स्पंदन आईटी पल्स जैसी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा विकसित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से आसानी से कॉल डिटेल रिकॉर्ड, सब्सक्राइबर से जुड़ी सूचना, भारत में किसी भी व्यक्ति के कॉल टावर का स्थान आदि तक अवैध रूप से पहुंच बनाई जा सकती थी। यह कंपनी अमेरिका में पंजीकृत है। प्रशांत की याचिका के बाद कंपनी समेत राज्य सरकार के साथी ही गृह सचिव, सीबीआई, एटीएस, एसटीएफ को नोटिस जारी किया गया था।

पांच हज़ार में होता था सौदा

सांसद के पत्र के अनुसार यह ऑनलाइन अवैध सॉफ्टवेयर कोई भी आसानी से खरीद सकता था। इसमें कहा गया है, ‘‘पांडेय की निजी जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के करीब 4000 पुलिसकर्मी पांच हजार रुपये प्रति महीने का भुगतान कर इस अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे थे।’’ याचिका में उच्चतम न्यायालय से सीबीआई जांच का आदेश देने का आग्रह किया गया है। तनखा के पत्र में कहा गया है कि याचिका 2015 में दायर की गई थी जो अब भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है और इसमें मध्यप्रदेश प्रतिवादी है।


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