भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कमला नेहरू अस्पताल की बिल्डिंग में स्थित हमीदिया (Hamidia Hospital Fire) के पीडियाट्रिक वार्ड में लगी आग गंभीर मानवीय भूल का परिणाम है। एक-एक कर अब इस हादसे की परतें खुलने लगी है और जानबूझकर की गई लापरवाही सामने आने लगी है।
हमीदिया अस्पताल हादसा, संभाग आयुक्त और डीन की भूमिका पर उठे सवाल
हमीदिया अस्पताल में सात शिशुओं की मौत के बाद जागे चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन और भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, शहडोल व सागर के संभाग आयुक्तों को पत्र लिखा है और उनसे समस्त चिकित्सा महाविद्यालय और उनसे संबंधित चिकित्सालयों में फायर सेफ्टी व इलेक्ट्रॉनिक ऑडिट सुनिश्चित करने को कहा है। यानी हादसा हुआ और निर्देश दिया गया, लेकिन खुद सचिव महोदय का पत्र बता रहा है कि ये सारे निर्देश जनवरी 2021 में भी दिए गए थे और सभी चिकित्सा महाविद्यालय और उनके अस्पतालों को फायर सेफ्टी सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक ऑडिट आवश्यक रूप से कराए जाने के लिए कहा गया था। इस प्रपत्र में कुल 12 बिंदु हैं और इन 12 बिंदुओं का अगर सही ढंग से पालन हो जाता तो हमीदिया अस्पताल में अग्निकांड होता ही नहीं। यह भी लिखा गया था कि इसके लिए अगर फंड की जरूरत हो तो सरकार उपलब्ध करा देगी।
हालांकि यह भी लिखा गया था कि सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अपनी निधि से ही इस खर्च को उठा सकते हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने जनवरी मे निर्देश तो दे दिया लेकिन यह देखा ही नहीं कि इसका पालन हुआ या नहीं। सूत्रों की माने तो भोपाल और इंदौर के मेडिकल कॉलेज ने इस आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया और फायर ऑडिट या सेफ्टी ऑडिट जैसी कोई चीज कराई ही नहीं। नतीजा सबके सामने है। हमीदिया में दर्दनाक हादसा हुआ और सात नौनिहाल इस दुनिया को देखे बिना अलविदा कह गए। खुद मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि एक गंभीर लापरवाही है और यह पत्र बताता है कि साफ तौर पर इसके लिए संभागायुक्त और डीन जिम्मेदार हैं जिन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव के निर्देशों का पालन नहीं किया। अब कार्रवाई का इंतजार है ताकि मासूम मौतों का इंसाफ मिल सके।
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