Female judge asked for permission to euthanize : उत्तर प्रदेश के बांदा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। बांदा में तैनात महिला सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। इस पत्र में उन्होने कहा है कि शारीरिक और मानसिक प्रतारणा से त्रस्त होकर वो अपना जीवन समाप्त करना चाहती हैं।
SC के मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र
बांदा जिले में तैनात सिविल जज ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मांगा इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। उन्होने एक पत्र लिखकर ये अनुमति मांगी है। इस पत्र में कहा गया है कि कई बार उनका शारीरिक शोषण किया गया। इस पत्र की भाषा से पता चलता है कि वे कितनी मानसिक पीड़ा में हैं। उन्होने लिखा है कि ‘मुझे आम आदमी को न्याय देना था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे ही भिखारी की तरह हर दरवाजे पर जाकर इंसाफ मांगना पड़ेगा। अपनी नौकरी के बहुत कम समय में ही कई बार मेरा शोषण किया गया। मुझे कचरे की तरह महसूस कराया गया और मैं एक अवांछित कीड़े की तरह खुद को महसूस करती हूं। मैं भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि वो सेक्शुअल हैरेसमेंट के साथ जीना सीख जाएं।’
पत्र सामने आने के बाद सनसनी फैली
इस पत्र में लिखा गया है कि उन्होने कई बार उच्च अधिकारियों से मामले की शिकायत की। हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति में भी शिकायत की लेकिन 6 महीने तक सैंकड़ों ईमेल सिर्फ जांच शुरु करने के लिए ही आ गए। इसके बाद हर तरफ से निराश होकर उन्होने पत्र में सम्मानित तरीके से अपना ‘जीवन समाप्त करने’ की मांग की है। ये पत्र सामने आने के बाद सनसनी फैल गई है। इस पत्र से एक बार फिर ये बात साबित होती है कि कार्यस्थल में महिलाओं का यौन शोषण कितनी गंभीर समस्या है और तमाम कानून बनने के बावजूद इसपर पूरी तरह लगाम नहीं लगाई जा सकी है। अगर जज जैसे उच्च पद पर आसीन महिला के साथ इस तरह की घटना हो सकती है और उन्हें इंसाफ के लिए दर दर भटकना पड़ सकता है तो आम महिलाओं की दुर्दशा का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। बहरहाल, इस पत्र के सामने आने के बाद संभव है कि मामले की पारदर्शिता से जांच हो पीड़ित को इंसाफ मिले।