इस हाई प्रोफाइल सीट पर दिग्गजों की नजर, तीन दशक बाद नए चेहरे की तलाश!

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भोपाल।  विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार कांग्रेस के सामने इंदौर सीट को जीतने की चुनौती है। पार्टी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए किसी कद्दावर चेहरे की तलाश कर रही है। इंदौर लोकसभा सीट पर बीजेपी का तीन दशकों से कब्जा है। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन इस सीट से 1989 से सांसद हैं। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शम्स उर रहमान अल्वी ने अपने लेख में इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया है। 

सुमित्रा महाजन ‘ताई’ के नाम से मशहूर हैं। देश में उन्हें इस नाम से संबोधित किया जाता है। वह इंदौर सीट से लगातार 8 बार से सांसद हैं। उनके होने से इंदौर सीट बीजेपी के दर्ग में तब्दील हो चुकी है जिसे भेदने के लिए कांग्रेस अब तक कोई बड़ा चेहरा नहीं ढूंढ पाई है। इंदौर प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कही जाती है। इंदौर में होलकर साम्राज्य रहा है। लेकिन मौजूदा वक्त में कांग्रेस के लिए यह सीट बीजेपी की अभेद गढ़ बन गई है। इसी तरह प्रदेश की कई बड़ी सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। वरोशत पत्रकार शम्स के मुतााबिक इस बार इंदौर की सियासत के समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। कुछ खेमों में इस बात की चर्चा है कि ताई लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस तरह इंदौर की सियासत में नए राजनीति के अध्याय की शुरुआत होगी। खबर है कि ताई अपने बेटे को इस सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने की पैरवी कर सकती हैं। लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि सालों से इस सीट पर बीजेपी के कई नेता आंखे लगाए बैठे हैं। इनमें गोपाल कृष्णा नेमा और कैलाश विजयवर्गीय जैसे कद्दावर नेता शुमार है। अगर ताई चुनाव नहीं लड़ती हैं तो यहां से ये दो नाम सबसे आगे फिलहाल नजर आते हैं। 


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