इस सीट पर रोचक मुकाबला, अपनों से पार पाने की कसौटी

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भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने इस बार अपने सभी दिग्गज चेहरों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वर्तमान में प्रदेश में मात्र तीन सीटों पर काबिज कांग्रेस ने 20 से 22 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए पार्टी ने सीधी संसदीय सीट से अजय सिंह को टिकट दिया है। यहां पूर्व नेता प्रतिपक्ष का  मुकाबला भाजपा की सांसद रीति पाठक से है। लेकिन एक-दूसरे का मुकाबला करने के साथ ही इन दोनों नेताओं को ‘अपनों’ यानी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं से भी लडऩा है। वहीं बसपा ने यहां से विकास पटेल को मैदान में उतारा है। इस कारण इस बार यहां मुकाबला रोचक होने वाला है। सीधी लोकसभा सीट राज्य की अहम लोकसभा सीटों में से एक है। यह एक ऐसी सीट रही है जिसपर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच बराबरी का मुकाबला रहा है। 

क्या भाजपा लगाएगी हैट्रिक

भाजपा यहां पर पिछले 2 चुनाव जीतने में सफल रही है। 2019 का चुनाव जीतकर उसकी नजर यहां पर हैट्रिक लगाने पर होगी तो कांग्रेस यहां पर वापसी करने की आस में है। 2014 के चुनाव में बीजेपी की रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था। रीति पाठक को 4,75,678 वोट मिले थे तो वहीं इंद्रजीत कुमार को 3,67,632 वोट मिले थे। वहीं बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। रीति पाठक ने इस चुनाव में 1,08,046 वोटों से जीत हासिल की थी। एक बार फिर रीति पाठक चुनाव लड़ रही हैं। यहां पर विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। ये सीटें चुरहट, चित्रांगी, धौहानी, सिद्दी, सिंगरौली, ब्यौहारी, सिहावल, देवसर हैं। इन 8 सीटों में से 7 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है। इसको देखते हुए लगता है कि भाजपा के लिए जीत की राह असान है। लेकिन सीधी की जनता रीति पाठक से असंतुष्ट नजर आ रही है।

रीति को अपनों की नाराजगी बड़ी चुनौती 

सीधी में भाजपा नेताओं के बगावती होने से पार्टी प्रत्याशी रीति पाठक को खतरा बढ़ गया है। पाठक के लिए इस बार का चुनाव चुनौतीपूर्ण होने वाला है। उल्लेखनीय है कि इस बार भाजपा विधायक सहित संगठन के कुछ पदाधिकारी रीति पाठक को प्रत्याशी बनाए जाने के समर्थन में नहीं थे। यही वजह थी कि सीधी से पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा, सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा, पूर्व जिलाध्यक्ष लालचंद गुप्ता, सिहावल के पूर्व विधायक विश्वामित्र पाठक व सिंगरौली जिले से पार्टी अध्यक्ष कान्तिदेव सिंह व पूर्व जिलाध्यक्ष गिरीश द्विवेदी ने दावेदारी जताई थी। भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रीति पाठक को सबसे बड़ी चुनौती अपनों से ही मिलने वाली है।

 

अजय के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव 

कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन सिंह की राजनैतिक विरासत को संभाल रहे अजय सिंह के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का चुनाव है। प्रदेश में जितनी चर्चा कांग्रेस की सरकार बनने की नहीं हुई उतनी अजय सिंह की अपनी परंपरागात सीट चुरहट से विधानसभा चुनाव हारने की थी। इस लिहाज से ये माना जा रहा है कि सिंह के लिए ना सिर्फ ये चुनाव प्रतिष्ठा का है बल्कि वजूद का भी है। यही कारण है कि वो पिछले दो माह से सीधी में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन क्षेत्र में कांग्रेस के में ही उनके खिलाफ कुछ नेता सक्रिय हैं। 

सामाजिक ताना-बाना

सीधी मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। यह क्षेत्र सिर्फ शहडोल ही नहीं बल्कि सीधी और सिंगरौली के पूरे जिले को कवर करता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक सीधी की जनसंख्या 2684271 है। यहां की 86.77 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 13.23 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। सीधी में 11.68 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 32.18 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में सीधी लोकसभा सीट पर 17, 36, 050 मतदाता थे।इनमें से 8,20,350 महिला मतदाता और 9,15,700 पुरुष मतदाता थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 56.99 फीसदी मतदाता हुआ था।

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

45 साल की रिति पाठक की संसद में उपस्थिति 95 फीसदी रही। उन्होंने इस दौरान संसद की 88 बहस में लिया। उन्होंने 317 सवाल भी किए। रीति पाठक ने निर्भया फंड, ई-वीजा, मध्य प्रदेश में खेल को बढ़ावा, जैसे मुद्दों पर सवाल किया। रीति पाठक को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.87 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 19.91 यानी मूल आवंटित फंड का 88.47 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 2.96 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।


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