जबलपुर, संदीप कुमार। शिवराज कैबिनेट बैठक (Shivraj Cabinet Meeting) का एक फैसला जबलपुर हाईकोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, हाल ही में मध्यप्रदेश (MP) में लागू हुआ धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 (Freedom of Religion Act 2020) विवादों में घिर गया है। शिवराज सरकार (Shivraj Government) के मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में चुनौती दी गई है। यह याचिका भोपाल (Bhopal) के एक कानून के छात्र अम्रतांश नेमा ने हाई कोर्ट में दायर की गई।इस संबंध में हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार, विधि एवं विधाई कार्य विभाग समेत गृह विभाग को नोटिस जारी किया है।
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दरअसल, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाद यह कानून लागू करने वाला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश का दूसरा राज्य है। भोपाल (Bhopal) में रहने वाले विधि के छात्र अम्रतांश नेमा ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है दायर याचिका में मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 (Madhya Pradesh Religious Freedom Act 2020) की धारा 4,10 और 12 को ग़लत बताया गया है।क़ानून में धर्मांतरण की परिभाषा और प्रक्रिया को भी ग़लत बताया गया है ।
धर्मांतरण के पहले कलेक्टर को सूचना देने का प्रावधान रखा गया है।याचिका में दलील दी गई है कि दबाव में धर्मांतरण की शिकायत पहले पीड़ित कर सकता था , अब कोई भी कर सकता है । याचिका पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार (State Government), विधि एवं विधाई कार्य विभाग (Law and Legal Affairs Department) सहित गृह विभाग (Home department) को नोटिस जारी किया जाएगा।
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बता दे कि हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting0 में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 (Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance, 2020) को मंजूरी दी गई थी, जिसे राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Governor Anandi Ben Patel) की मंजूरी के बाद पूरे मध्यप्रदेश में लागू कर दिया है।
इस संबंध में गृह विभाग (Home Ministry) द्वारा मध्यप्रदेश राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को अधिसूचित कर दिया गया है। इसके बाद गृह विभाग की ओर से सभी कलेक्टरों (Collectors) और एसपी (SP) को निर्देश जारी करके अब कानून के तरह कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है।
मप्र धार्मिक स्वतंत्रता कानून-2020 के मुख्य बिंदु
- मप्र धार्मिक स्वतंत्रता कानून-2020 में बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर धर्मांतरण के लिए विवाह करने पर 10 साल की सजा और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- इस तरह की शादी कराने वाले धर्म गुरु,काजी-मौलवी को भी पांच साल तक सजा मिलेगी।
- लव जिहाद (धर्म छिपाकर) से की गई शादी शून्य घोषित होगी।
- शादी करने के लिए जिले के कलेक्टर के सामने दो महीने पहले आवेदन देना होगा।
- लव जिहाद से की गई शादी रद्द होने के बाद महिला और उसके बच्च भरण पोषण के हकदार होंगे। ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार होंगे।
- कोई भी व्यक्ति दूसरे को दिगभ्रमित कर,प्रलोभन,धमकी,बल,दुष्प्रभाव,विवाह के नाम पर धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा।
- कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का षड़यंत्र भी नहीं कर सकेगा।
- अपना धर्म छुपाकर यानि लव जिहाद करके शादी करने पर तीन साल से दस साल तक की कैद और 50 हजार रूपए अर्थदण्ड और सामूहिक धर्म परिवर्तन (02 या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर 5 से 10 वर्ष के कारावास एवं एक लाख रूपए का जुर्माना किया जाएगा।
- कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को एक साल से पांच साल तक के करावास और 25 हजार रूपए का जुर्माना लगेगा
- नाबालिग,महिला,अ.जा,अ.ज.जा के केस में दो से दस साल तक की करावास और कम से कम 50 हजार रूपए का अर्थदंड लगाने का प्रावधान है।
- धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम का उल्लंघन करने वाली संस्था या संगठन को भी अपराधी के सामान सजा मिलेगी।
- जबरन धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती बनाया गया है।
- 10-धर्मांतरण नहीं किया गया है इसको आरोपी को साबित करना होगा। ऐसे अपराध की जांच उप पुलिस निरीक्षक (एसआई) से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकेगा।
- प्रस्तावित ‘म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम’ की धारा 03 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति दूसरे को दिगभ्रमित कर, प्रलोभन, धमकी, बल, दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा उसका धर्म परिवर्तन अथवा धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा। कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का दुष्प्रेरण अथवा षड़यंत्र नहीं करेगा।