सागर। सागर के बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज का है जहां डेढ़ साल की मासूम ने सिर्फ इसलिए दम तोड़ दिए क्योंकि उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका। हद तो तब हो गई जब गुस्साए डॉक्टरों ने बच्ची के परिजनों से ही वेंटिलेटर लाने को कह दिया। इलाज में लापरवाही एवं मनमानी करने पर कमिश्नर मनोहर दुबे द्वारा जूनियर डॉक्टर ज्योति राऊत को निलंबित कर दिया है।
दरसल कर्रापुर निवासी आंशिक अहिरवार 8 फरवरी को सुबह घर मे खेलते हुए खोलते पानी में जा गिरी। जिससे वह बुरी तरह जल गई, जिसके बाद मासूम को बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज के वर्न वार्ड में भर्ती कराया, लेकिन लापरवाही के चलते 4 घण्टे तक मासूम को इलाज नसीब नहीं हुआ और वह दर्द से तड़पती रही। बच्ची की बिगड़ती हालत को देख परिजनों ने मामले की शिकायत डीन डॉ जी एस पटेल से की।
डीन के निर्देश पर बर्न वार्ड में डॉ तो पहुंची लेकिन जब परिजनों ने उनसे इलाज की बात की तो वे भड़क गईं और बोली कि बच्ची को वेंटिलेटर की जरूरत है। पहले इलाज के लिए 1 करोड़ रु का वेंटिलेटर लेकर आओ तब इलाज शुरू होगा। डॉ के इस जवाब से परिजन शांत हो गए और इलाज में देरी के चलते बच्ची ने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजन डीन कार्यालय पहुंचे और करीब एक घण्टे तक शव वाहन खड़ा कर हंगामा किया और मेडिकल प्रवंधन से दोषी डॉ पर कार्यवाही की मांग की।
हादसे के बाद प्रकरण में जांच के लिए कमिश्नर मनोहर दुबे के निर्देशानुसार एडिशनल कमिश्नर वीरेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। यह समिति 48 घंटे के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। महिला डॉक्टर द्वारा इलाज के दौरान बच्ची के परिजनों को वेंटिलेटर की व्यवस्था को लेकर हुए बातचीत का एक वीडियो भी वायरल हुआ है।