भोपाल/ग्वालियर। लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियां जोरों पर चल रही है। इसी बीच सिंधिया के सीट बदलने की भी अटकले तेज हो चली है। खबर है कि विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद सिंधिया इस बार अपनी सीट बदल सकते है। चर्चा है कि इस बार सिंधिया गुना से चुनाव ना लड़कर ग्वालियर से लोकसभा चुनाव लड़े। वही मंगलवार को ग्वालियर के जिला कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में तय हुआ कि लोकसभा प्रत्याशी का चयन सिंधिया ही करें| वहीं पदाधिकारियों ने अपनी राय देते हुए कहा कि इस सीट से या तो सिंधिया खुद लड़े या उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को चुनाव लड़ाया जाए। पदाधिकारियों ने यह फैसला सिंधिया पर छोड़ दिया। अब ग्वालियर सीट से प्रत्याशी का चयन कांग्रेस महासचिव और गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया करेंगें।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंगलवार को ग्वालियर जिला कांग्रेस कार्यालय में बैठक बुलाई गई थी जिसमें ग्वालियर लोकसभा के प्रभारी बनाए गए सेवढ़ा विधायक घनश्याम सिंह और मनोज पाल सिंह, पूर्व सांसद बारेलाल जाटव, कमलेश कौरव, आनंद शर्मा, सतेन्द्र शर्मा, दशरथ सिंह गुर्जर, प्रमोद पांडे आदि शामिल हुए। बैठक में तय हुआ कि ग्वालियर सीट से उम्मीदवार तय करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को अधिकृत किया जाए| संगठन के प्रदेश महासचिव अशोक शर्मा ने प्रस्ताव रखा कि ग्वालियर सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया या प्रियदर्शिनी राजे को चुनाव लड़ना चाहिए या इस सीट पर नाम तय करने सिंधिया को अधिकृत करना चाहिए। प्रभारियों, अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं ने श्री शर्मा के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया। बैठक के समापन पर अन्य प्रभारियों ने एक एक कर सदस्यों से राय जानी तो अधिकतर सदस्यों ने कहा ग्वालियर सीट से हो सके तो ज्योतिरादित्य सिंधिया या प्रियदर्शिनी राजे को चुनाव लड़ना चाहिए | कुछ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अशोक सिंह, ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर और प्रदेश कांग्रेस के महासचिव अशोक शर्मा का भी नाम ग्वालियर प्रत्याशी के लिए आगे बढ़ाया|
ग्वालियर सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है, यहां से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं। कांग्रेस इस सीट पर वापस कब्जा चाहती है, क्योंकि यह सीट कई मायनों में अहम मानी जाती है। चर्चा है कि इस बार कांग्रेस कई सीटों पर बदलाव के मूड़ में हे ताकि भाजपा को कड़ी चुनौती देने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा जमा सके। इसके तहत कांग्रेस आपने दिग्गजों को एक साथ एक से ज्यादा स्थानों पर भी चुनाव लड़ा सकती है।इसी को देखते हुए सिंधिया इस बार ग्वालियर की ओर रुख कर सकते हैं। वहीं गुना सीट कांग्रेस के हाथों से ना निकल जाए इसके लिए उनकी पत्नी प्रियदर्शनी को यहां से चुनाव लड़ाया जा सकता है।
ऐसा रहा है ग्वालियर लोकसभा सीट का इतिहास
1998 के लोकसभा चुनाव में स्व.माधवराव सिंधिया कांग्रेस से चुनावी मैदान में थे और उनके मुकाबले भाजपा ने जयभान सिंह पवैया को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला और स्व. सिंधिया करीब 26 हजार वोटों से जीत दर्ज करा पाए। उसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में स्व. माधवराव सिंधिया ग्वालियर से चुनाव नहीं लड़े और उन्होंने यह चुनाव गुना-शिवपुरी से लड़ा। उसके बाद ग्वालियर से भाजपा के जयभान सिंह पवैया सांसद बनें और उसके बाद रामसेवक सिंह कांग्रेस से सांसद बनें। इसी क्रम में दो बार भाजपा से यशोधरा राजे सिंधिया सांसद रही। तत्पश्चात 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र सिंह तोमर सांसद बनें, जो कि वर्तमान में मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री है। वहीं चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री तोमर भी अपनी सीट बदल सकते हैं। वह विदिशा या अन्य किसी से सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
पोलिंग बूथ पर मैनेजमेंट संभाले
बैठक में सेवढ़ा विधायक घनश्याम सिंह ने इस दौरान कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की मेहनत का ही नतीजा है कि भाजपा से 15 साल के कुशासन से जनता को मुक्ति मिली है। सरकार किसान, गरीब, मजदूर, व्यापारी वर्ग के हित में काम कर रही है। हमें अब लोकसभा में और ताकत लगाना है। एकजुट होकर काम करना होगा। हर पोलिंग बूथ पर मैनेजमेंट संभालना होगा।जनता की समस्याओं के निराकरण की जिम्मेदारी अब कार्यकर्ताओं की है। वे अधिकारियों को बता दें कि जनता को न्याय मिलना चाहिए, उनकी समस्याएं हल की जाना चाहिए।
किसान सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो
वही बैठक में मनोज पाल सिंह ने कहा कि विधानसभा में जिले की 6 में से 5 सीट पर मिली जीत को लेकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है।इसलिए लोकसभा चुनाव की तैयारियों के हिसाब से संगठन को बूथ से लेकर सेक्टर , ब्लॉक और मंडलम स्तर तक मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं की टीम बनाई जाएगी।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आठ फरवरी को भोपाल में होने वाले किसान सम्मेलन में सभी कार्यकर्ताओ, पदाधिकारियों और नेताओं को शामिल होने अनिवार्य है।