गुना से सिंधिया का नाम तय, प्रियदर्शिनी हो सकती हैं ग्वालियर से उम्मीदवार, भाजपा असमंजस में

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ग्वालियर।  लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद अब उम्मीदवारों के नाम पर मंथन तेज हो गया है।  कांग्रेस ने कुछ नामों को तय कर दिया है हालाँकि अभी इनकी अधिकृत घोषणा होना बाकी है।  इन नामों में गुना-शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल है| पार्टी इस बार भी सिंधिया को गुना-शिवपुरी से ही टिकट दे रही है, वहीँ कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को पार्टी ग्वालियर से उम्मीदवार बना सकती है। उधर सम्भावना ये भी जताई जा रही है कि अधिकृत घोषणा के समय दोनों सीटों के उम्मीदवार आपस में बदल ना जाएँ।  इस सबके बीच भाजपा असमंजस की स्थिति में है।  पार्टी स्तर से तो अभी कोई बात सामने नहीं आई है लेकिन राजनैतिक पंडितों की माने तो इस बार सांसद नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट बदल सकते हैं।  

भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर में सिंधिया परिवार का भी उतना ही दबदबा है। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने जिस तरह कांग्रेस को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाया उसके बाद सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया महल के वर्चस्व को ग्वालियर चम्बल संभाग से लेकर प्रदेश के कई संभागों तक ले गए, यही कारण है कि आज कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात को तबज्जो देता है। जिस तरह विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण को लेकर सिंधिया की चली, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में भी राहुल गांधी, सिंधिया की  पसंद का ध्यान रखें।  पार्टी ने जो संकेत दिए हैं उसके मुताबिक सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया  का नाम गुना शिवपुरी सीट के लिए तय हो चुका है बस अधिकृत घोषणा होना बाकी है, लेकिन जिस तरह पिछले कुछ दिनों से सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे को भी चुनाव लड़ाने की मांग उठी है उससे लगता है कि इस बार कांग्रेस उन्हें भी टिकट दे सकती है और यदि ऐसा होता है तो प्रियदर्शिनी को ग्वालियर से टिकट दिया जा सकता है |

पैनल में प्रियदर्शिनी का नाम 

सूत्र बताते हैं कि सोमवार को CWC की बैठक में जिन सीटों पर दो नामों के पैनल बना है उनमें ग्वालियर लोकसभा सीट भी है।  इस सीट पर प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह का नाम है।  माना ये जा रहा है कि अशोक सिंह पिछले तीन लोकसभा चुनाव हार चुके हैं जिसमें एक उपचुनाव भी शामिल हैं, इसलिए तय गाइडलाइन में वे फिट नहीं बैठते तो उनका टिकट कट सकता है।   सिंधिया प्रियदर्शिनी का टिकट फाइनल करा सकते हैं।  उधर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता ये कह रहे हैं कि सिंधिया खुद ग्वालियर से चुनाव लड़ेंगे और प्रियदर्शिनी को सेफ जोन में गुना सीट से चुनाव लड़ा देंगे क्योंकि सांसद सिंधिया के कन्धों पर उत्तरप्रदेश की  जिम्मेदारी है और उन्हें उस चुनौती को भी पूरा करना है। हालाँकि  ग्वालियर ग्रामीण जिलाध्यक्ष मोहन सिंह राठौड़ भी टिकट के लिए जुगाड़ कर रहे हैं।  

तोमर और मिश्रा बदल सकते हैं सीट 

उधर ग्वालियर सीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी असमंजस की स्थिति में हैं।  पार्टी का एक धड़ा तो मौजूदा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को ही चुनाव लड़ाना चाहता है  लेकिन अंदरखाने की बात ये है कि नरेंद्र सिंह तोमर खुद भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे कहाँ से चुनाव लड़ेंगे।  उनके सीट बदलने को लेकर चर्चाएं विधानसभा परिणामों के बाद से शुरू हो गई थी।  भोपाल सीट पर भी उनके नाम पर चर्चा हुई थी। वहीं मुरैना सांसद अनूप मिश्रा के भी सीट बदलने को लेकर चर्चाएं हैं। मुरैना में काम नहीं करने के आरोप उनपर लगते रहे हैं , यहाँ तक कि  मुरैना में सांसद लापता के पोस्टर भी चिपक गए थे  जो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए थे।  भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी अनूप मिश्रा को ग्वालियर और नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना भेज सकती है।  क्योंकि तोमर पिछली बार इस सीट से जीत चुके हैं और अनूप मिश्रा को गृह जिला होने और अटल जी का भांजा होने के नाते सिमपैथी वोट का लाभ यहाँ मिल सकता है।  हालाँकि यदि सिंधिया या प्रियदर्शिनी राजे दोनों में से कोई भी ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ा तो मुकाबला रोचक  जाएगा और कांग्रेस के पक्ष में फैसला जाने उम्मीद बहुत बढ़ जाएगी।  बहरहाल कौन सी पार्टी किस उम्मीदवार को कहाँ से लड़ाती है ये देखना अभी बाकी है।   


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