भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के लिए अपने वचनों को निभाना बड़ी चुनौती बन गया है| इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार को भारी भरकम बजट की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार एक बार फिर बाजार से कर्ज उठाने जा रही है| नई सरकार के डेढ़ माह के कार्यकाल में यह तीसरा मौका है जब सरकार व्याज पर कर्ज उठा रही है|
वित्तीय जरूरतों की पूर्ति के लिए सरकार एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। इसको मिलाकर चालू वित्तीय वर्ष में बाजार से ब्याज पर लिया जाने वाला कर्ज अब 14 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। इसमें तत्कालीन शिवराज सरकार के कार्यकाल में लिया गया कर्ज 10 हजार 400 करोड़ रुपए और कमलनाथ सरकार में लिया गया कर्ज 3600 करोड़ रुपए (तीन बार में 1600, 1000 और 1000) हो जाएगा। वित्त विभाग से नए कर्ज लिए जाने की मंजूरी हो गई है। मंगलवार तक अधिसूचना जारी हो सकती है।
बताया जा रहा है कि नए कर्ज की राशि से वेतन-भत्ते के साथ चुनाव से पहले किसानों की कर्ज माफी से जुड़े कामों में किया जाएगा। इस कर्ज के बाद सरकार अभी और कर्ज ले सकती है| जिस तरह की घोषणाएं सरकार ने की उनको पूरा करने में भारी भरकम बजट की जरुरत है| वित्तीय स्तिथि को देखते हुए सरकार पहले ही फिजूलखर्ची पर रोक के आदेश जारी कर चुकी है और शासन स्तर पर कई फेरबदल भी किये गए हैं| लेकिन वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए फिलहाल सरकार कर्ज पर ही निर्भर है| इस नए कर्ज को लेने के बाद भी राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2018-19 में 8 हजार करोड़ का कर्ज और ले सकती है।
पिछले सत्र (जनवरी के पहले पखवाड़े) में ही कमलनाथ सरकार 22 हजार 347 करोड़ रुपए का दूसरा सप्लीमेंट्री बजट ला चुकी है। इसकी राशि अभी तक विभागों को नहीं मिली। सरकार 18 फरवरी से प्रस्तावित सत्र में लेखानुदान के साथ तीसरा सप्लीमेंट्री बजट भी लेकर आने वाली है। इसमें कृषि, रोजगार व कौशल विकास, ऊर्जा के साथ कुछ विभागों राशि का प्रावधान करेगी। इसके साथ ही 2018-19 के मुख्य बजट के आंकड़ों का फाइनल मिलान भी करेगी।