भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 14 साल पुरानी परंपरा को तोड़ हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाया जाने वाला ‘वंदे मातरम’ को बंद करने का फैसला लिया है। उनके फैसले के बाद आई प्रतिक्रियओं को देखते हुए उन्होंने एक संदेश के माध्यम से इसको बंद करने की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि है गान को बंद करने के पीछे कोई एजेंडा या फिर गलत मंशा नहीं है। हम इसे अलग रूप में पालस शुरू करेंगे।
मुख्यमंत्री ने लिखा है, “हार माह की 1 तारीख़ को मंत्रालय में वन्देमातरम गान की अनिवार्यता को फ़िलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय ना किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और ना ही हमारा वन्देमातरम गान को लेकर कोई विरोध है। वन्देमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है। हम भी समय- समय पर इसका गान करते है। हम इसे वापस प्रारंभ करेंगे लेकिन एक अलग रूप में। लेकिन हमारा यह भी मानना है कि सिर्फ़ एक दिन वन्देमातरम गाने से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती है।
देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ़ एक दिन वन्देमातरम गान से जोड़ना ग़लत है। जो लोग वन्देमातरम गायन नहीं करते है तो क्या वे देशभक्त नहीं है ? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है। इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है। हमारी भी धर्म , राष्ट्रीयता , देशभक्ति में आस्था है।कांग्रेस पार्टी जिसने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी। उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता के लिये किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये व जनता को गुमराह ,भ्रमित करने के लिये थोपे जाते रहे है। भारत में रहने वाला हर नागरिक देशभक्त, राष्ट्र भक्त है।उससे किसी भी प्रकार के प्रमाणपत्र लेने की और ना उसे किसी को देने की आवश्यकता है। भाजपा इस पर राजनीति ना करे। हम इसे नये रूप में शीघ्र निर्णय लेकर लागू करेंगे।