भोपाल। मध्य प्रदेश में कर्मचारी आयोग के गठन की मांग उठ रही थी। कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह कर्मचारियों के आयोग का गठन करेगी। सरकार ने यह वादा भी पूरी कर दिया है। कमलनाथ कैबिनेट में यह प्रस्ताव पास कर दिया गया है। कर्मचारियों को होनी वाली समस्याओं के निराकरण के लिए यह आयोग काम करेगा। आयोग के गठन से प्रदेश के 15 लाख से ज्यादा, नियमित, संविदा, अंशकालिक, कार्यभारित, संविदा, निकायों के कर्मचारियों के अलावा पेंशनर्स से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करके सिफारिश सौंपेगा।
कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को बेहतर और परिणाममूलक बनाने के लिए साथी ही सेवा शर्तों के मौजूदा ढांचे को समय के अनुरूप बनाने की अनुशंसा करेगा। इसके अध्यक्ष और सदस्यों का भी ऐलान जल्द किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा की जाएगी। कमलनाथ सरकार ने कर्मचारी आयोग के सदस्य चुने जाने की घोषणा कर दी है. आयोग में रिटायर्ड आईएएस अजय नाथ अध्यक्ष, योगेश सोनगरिया (रिटायर्ड जज), अखिलेश अग्रवाल (रिटायर्ड इंजीनियर इन चीफ) सदस्य हैं. कर्मचारियों के प्रतिनिधि के तौर पर वीरेंद्र खोंगल को सदस्य बनाया गया है. जीएडी, वित्त विभाग के नॉमिनेटेड अफसर भी इसके सदस्य होंगे. रिटायर्ड आईएएस मिलिंद वाइकर को आयोग का सचिव बनाया गया है।
वेतन-पेंशन की समस्याएं सुलझेंगी
कर्मचारी आयोग सिर्फ सातवें वेतनमान की विसंगतियों के निराकरण तक सीमित नहीं रहेगा. बल्कि इसके दायरे में राज्य की सिविल सेवाओं को प्राप्त हो रहे क्रमोन्न्त, समयमान वेतनमान से जुड़े नियम, निर्देशों का अध्ययन करके सुझाव देना भी रहेगा. इसके अलावा राज्य सरकार की सेवा से रिटायर होने वाले पेंशनर्स को दी जा रही सुविधाओं के साथ उनकी समस्याओं को दूर करने का काम भी आयोग के जिम्मे होगा. वहीं, संस्थाओं को आधुनिक तथा व्यवसायिक संस्थाओं के रूप में परिवर्तन के उपाय भी आयोग निकालेगा.