भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था हो या फिर बिजली कटौती मामला मंत्रियों के उदासीन रवैये से लगातार सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। जबकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने प्रमुख एजेंडे में विकासकार्यों को प्राथमिकता दी है। प्रदेश में बिजली, जल, कानून व्यवस्था बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं।
मुख्यमंत्री लगातार मंत्रालय से ऐसे मंत्रियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं जिनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और जो सरकार को शर्मसार होने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यह मंत्री अपने विभाग के अलावा उनके प्रभार वाले जिलों में भी निराशाजनक प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, उनके क्षेत्र में भी खास प्रदर्शन नहीं है। लोकसभा चुनाव में 22 मंत्रियों के क्षेत्र में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इन क्षेत्रों में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। इसके पीछ दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। पहला तो मोदी लहर का बरकरार रहना, दूसरा विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का खराब प्रदर्शन।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पद संभालते ही सभी मंत्रियों को काम करने के लिए फ्री हैंड दिया है। उन्होंने कहा था कि सीएमओ के बजाए मंत्री अपने विभाग के फैसले खुद लें। बहुत जरूरी मामला होने पर ही फाइल उनके आफिस भेजी जाए। नाथ समेत सीएस मोहंती पॉवर सप्लाई प्रबंधन का ट्रैक देख रहे हैं। इस मोर्चे पर ऊर्जा मंत्री प्रियवर्त सिंह पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। सिंह सुधार के बजाए बिजली कटौती का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ रहे हैं और अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ते नज़र आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की भी हालत खस्ता
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट भी अपना मंत्रालय संभालने में नाकाम साबित हुए हैं। प्रदेश में लगातार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में लापरवाही के मामला सामने आ रहे हैं। लेकिन फिर भी अस्पतालों की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। हेल्थ विभाग की योजनाओं को अस्पतालों में सही तरह से क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है। प्रदेश के मंडिकल कॉलेजों में भी कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। मेडिकल शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधो भी यहां कुछ खास करने में नाकाम रही हैं।
कानून व्यवस्था भी लचर
प्रदेश में सरकार कानून व्यवस्था के भले बड़े दावे करने लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ट्रैक से उतर गई है। जिसने छह महीने में ही सरकार को घेरने का मौका दिया है। सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री बाला बच्चन अपने विभाग पर कोई खास कंट्रोल नहीं रख पा रहे हैं। पुलिस विभाग का प्रदर्शन कोई पहले भी बदद्तर होता जा रहा है। इनके अलावा अन्य कई मंत्रियों का भी यही हाल है। इनमें मंत्री इमरती देवी, ओमकार सिंह मरकाम, लखन घनघोरिया और सुरेंद्र सिंह बघेल शामलि हैं। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट विस्तार में इन मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। इनकी जगह नए चेहरों को काम सौंपा जा सकता है।