“तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में
हैं तल्ख़ बहुत बंदा-ए-मज़दूर के औक़ात”
अल्लामा इक़बाल ये तल्ख़ हक़ीक़त बहुत पहले बयां कर गए हैं। इस दुनिया में रसूखवालों के लिए आम आदमी की औकात कुछ नहीं होती। और वो इस बात को कभी अपने व्यवहार से तो कभी अपनी ज़बान से ज़ाहिर भी कर देते हैं। लेकिन कहते हैं न कि कि हर उन्नीस के आगे बीस होता है..तो कई बार औकात दिखानेवालों के दिन भी पलट जाते हैं। कोई आता है और उन्हें उनकी जगह बता जाता है।
‘औकात’ पर बवाल
मध्य प्रदेश में इन दिनों ‘औकात’ शब्द चर्चा में है। कहते हैं वक्त बड़ा बलवान होता है। दो दिन पहले शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल का वक्त बलवान था और ट्रक ड्राइवरों के साथ बैठक में उन्होने एक ड्राइवर को डपटते हुए उसे उसकी ‘औकात’ याद दिला दी। लेकिन वक्त ने पलटी मारी और एक दिन बाद ही इस ‘औकात’ शब्द ने उनका तबादला करवा दिया। सीएम मोहन यादव ने इस तरह के अपशब्दों को आपत्तिजनक मानते हुए तुरंत एक्शन लिया और उन्हें शाजापुर कलेक्टर के पद से हटा दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने किया मुख्यमंत्री के फैसले का समर्थन
पक्ष और विपक्ष की किसी मुद्दे पर एकराय बने..कम ही होता है। लेकिन मुख्यमंत्री के इस निर्णय का कांग्रेस ने स्वागत किया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस फैसले का समर्थन किया है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है ‘शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल को एक ड्राइवर भाई की औकात दिखाने पर उनके पद हटाया जाना अच्छी बात है! लोकतंत्र में जनता से उसकी औकात पूछने का अधिकार नौकरशाहों को नहीं है! जनता सर्वोपरि थी, सर्वोपरि है और हमेशा रहेगी! शाजापुर कलेक्टर को ‘औकात’ पूछने की सजा दी जाना सही फैसला है। शिवराज-राज के बेलगाम कलेक्टरों को एक-एक करके निपटाया जाना गलत भी नहीं है! गुना कलेक्टर को बस हादसे की सजा मिली तो शाजापुर कलेक्टर को भरी मीटिंग में अपनी ताकत दिखाने की! गंदगी के खिलाफ स्वच्छता अभियान तो चलना ही चाहिए!’ इस तरह कांग्रेस इस ने मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन यादव के फैसले को सही बताया है और कहा है कि इस तरह की मानसिकता को खत्म करने के लिए ऐसे फैसले लिए जाना जरुरी है। बहरहाल, सज़ा भले एक कलेक्टर को मिली हो, लेकिन ये संदेश सभी आला अधिकारियों के लिए हैं कि आगे उन्हें अपने मिज़ाज सही रखने होंगे क्योंकि सीएम चेता चुके हैं कि ऐसी घटनाएं भविष्य में भी स्वीकार नहीं की जाएंगी।
शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल को एक ड्राइवर भाई की औकात दिखाने पर उनके पद हटाया जाना अच्छी बात है!
लोकतंत्र में जनता से उसकी औकात पूछने का अधिकार नौकरशाहों को नहीं है!
जनता सर्वोपरि थी, सर्वोपरि है और हमेशा रहेगी!शाजापुर कलेक्टर को 'औकात' पूछने की सजा दी जाना सही फैसला है।…
— Umang Singhar (@UmangSinghar) January 4, 2024