भोपाल। मोदी सरकार ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए जीएसटी से छूट की सीमा को दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया था। यह व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी होगी। इससे व्यापरियों को तो राहत मिली है लेकिन इस व्यवस्था से फण्ड की कमी से जूझ रही मध्य प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगेगा। वित्त विभाग का अनुमान है कि अगर केन्द्र सरकार व्यापारियों को जीएसटी में छूट देते है तो इसका सीधा असर खजाने पर पड़ेगा। करीब 500 करोड़ सालाना राजस्व की हानि होगी। चुंकी पहले ही प्रदेश का खजाना खाली है और कमलनाथ सरकार राजस्व बढ़ाने के नित नए प्रयास कर रही है, ताकी चुनाव में किये वादों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके, ऐसे केन्द्र का ये फैसला आने वाले दिनों में बढ़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
पिछले महीने केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के प्रावधानों में परिवर्तन करते हुए 40 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाले उद्यमियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट दी थी। वित्त विभाग का मानना है कि केन्द्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले अप्रैल में इस फैसले को लागू करती है तो राज्य पर भार पड़ना तय है। इस फैसले से राज्य सरकार की आमदनी कम होगी, जिसका सीधा असर खजाना पर पड़ेगा, क्योंकि मप्र में छोटे उद्यमियों की संख्या काफी ज्यादा है और इनसे अच्छा खासा रेवेन्यू सरकार को मिलता है। मप्र को इन छोटे उद्यमियों या व्यापारियों से हर महीने 35 से 40 करोड़ रुपए का टैक्स मिलता था। 20 से 40 लाख रुपए तक के सालाना टर्नओवर वाले मप्र में 2 लाख से ज्यादा व्यापारी हैं। जीएसटी छूट की सीमा बढ़ाने से आशंका यह भी जताई जा रही है कि इससे टैक्स चोरी की संभावनाएं बढ़ेगी। केंद्र सरकार को ही इस फैसले से करीब सवा पांच हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इस फैसले से राज्य सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपए सालाना नुकसान होगा।
बता दे कि लगातार मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के बोझ से दबी जा रही है। सरकार पर अभी तक पौने दो लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्जा है और तीन बार बाजार से कर्ज उठा चुकी है| वहीं कर्जमाफी के लिए सरकार को भारी भरकम बजट की जरुरत है| फंड की कमी की वजह से ही सरकार ने सभी निगम मंडलों से भी उनके खातों में जमा करीब 2 हजार करोड़ रुपए सरकार के खजाने में जमा करने को कहा है। ऐसी स्तिथि में केन्द्र का ये फैसला मप्र सरकार के खजाने को बड़ा झटका देने वाला है|