भोपाल।
कमजोर पड़े मानसून ने शुक्रवार से रफ्तार तेज कर दी है और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में प्रवेश कर लिया है। मानसून के आगे बढ़ने की परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं।जिसके चलते आने वाले एक दो दिनों में मानसून की मप्र में आहट शुरु होने वाली है। हालांकि प्री मानसून के चलते प्रदेश में कही कही हल्की बारिश देखने को मिल रही है।मौसम विभाग की माने तो 23 जून को मानसून के मप्र में दस्तक देने की पूरी संभावना है।वही भोपाल में देरी हो सकती है ऐसे में 27 या 28 जून तक इसके यहां पहुंचने के आसार है।
मौसम विभाग की माने तो वर्तमान में उत्तर-पूर्वी मप्र और उससे लगे दक्षिण-पूवीं उप्र पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। लेकिन हवा का रुख उत्तरी बना रहने से वातावरण में अपेक्षाकृत नमी मिली। जिसके चलते बादल छंट गए। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही तरफ से मानसून तेजी से आगे बढ़ रहा है । अगर यही गति रही तो एक दो दिन में मानसून बालाघाट जिले से प्रवेश कर लेगा।
हालांकि प्री-मानसून की गतिविधियां प्रदेश मे हो रही है। पिछले कई दिनों से प्रदेश के कई जिलों में बारिश के रुक रुककर होने का सिलसिला जारी है। जिसके चलते तापमान में भी गिरावट आई है। शुक्रवार के मानसून के बिहार, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश में पहुंचने पर देर शाम प्रदेश में भी हवाओं की रफ्तार तेजी रही है।
मानसून की देरी , फसलों पर असर
प���रदेश में मानसून कई सालों से देरी से पहुंच रहा है जिसके चलते कई इलाकों में सुखे जैसे हालात बने हुए है, फसलों को भी भारी नुकसान देखने को मिल रहा है। इस साल भी मानसून की देरी फसलों पर बुरी असर डाल सकती है।अगर मानसून 10 दिन की देरी से पहुंचेगा ताे इसका असर खरीफ की साेयाबीन, धान, मक्का, ज्वार जैसी फसलाें की बाेवनी पर पड़ेगा। यानी 90-95 दिन की अवधि की फसलाें पर ताे असर नहीं हाेगा, लेकिन सोयाबीन की 110-120 दिन की अवधि की फसलाें पर ज्यादा असर हाेगा। इसके कारण रबी की फसलाें गेहूं, चना, मसूर, अलसी, मटर की बाेवनी भी देरी से हाेगी। जिसके चलते किसानों को इंतजार करना पड़ेगा।
भोपाल में देरी से पहुंचेगा मानसून
मौसम विभाग की माने तो बालाघाट की तरफ से मानसून के प्रवेश करने के कारण भोपाल में मानसून के पहुंचने में देरी हो सकती है। बाकी जिलों की अपेक्षा भोपाल में मानसून 27 -२८ को पहुंचने की संभावना है।अगर पिछले आकड़ों की बात करे तो सिर्फ 2014 में ही एक बार ही इसे भाेपाल पहुंचने में 17 दिन लगे थे। वजह यह थी कि मानसून ब्रेक से इसकी प्रोग्रेस रुक गई थी। यदि इस बार प्रोग्रेस सही रही तो 27 या 28 जून तक इसके भोपाल पहुंचने की संभावना है।