मप्र विधानसभा : 28 दिसंबर से शीतकालीन सत्र, अध्यक्ष का होगा चुनाव, हंगामे के आसार

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) का शीतकालीन सत्र (Winter Session) 28 दिसंबर से शुरू होगा। उपचुनाव (By-election) के बाद यह पहला सत्र होगा। 28 से 30 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में विधानसभा का नया अध्यक्ष (Assembly Speaker ) चुना जाएगा और नवनिर्वाचित विधायकों को भी शपथ दिलाई जाएगी।इसके अलावा लव जिहाद को लेकर लाए जा रहे नए धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 (Freedom of Religion Act 2020 including) समेत कई विधेयकों पर चर्चा की जाएगी।

दरअसल, शिवराज सरकार (Shivraj Government) के प्रस्ताव पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने सत्र बुलाने की अनुमति प्रदान कर दी है।मप्र विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र 28,29 और 30 दिसंबर को होगा। इसमें अनुपूरक बजट को मंजूरी के अलावा जनहित के मुद्दों और विधेयकों पर भी चर्चा होगी।सत्र में वित्त विभाग, सरकार के बजट का अनुपूरक अनुमान सदन में पेश कर सकता है।

बता दें कि इससे पहले 21 सितंबर को 1 दिन का विधानसभा सत्र आयोजित किया गया था। जिसमें सरकार ने अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक, मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक सहित, मध्य प्रदेश साहूकार संशोधन विधेयक पारित कराया था।

विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल ये विधायक
वर्तमान में विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) रामेश्वर शर्मा (Rameshwar Sharma) हैं। दलीय स्थिति के हिसाब से भाजपा का अध्यक्ष बनना तय है। भाजपा से वरिष्ठ विधायक केदार शुक्ला, गिरीष गौतम और नागेंद्र सिंह, मंदसौर से वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया का नाम चर्चा में है। वही उपाध्यक्ष को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, क्योंकि कांग्रेस के समय सहमति नहीं बनने के कारण दोनों पद के लिए चुनाव हुए थे। विधायकों की संख्या अधिक होने की वजह से दोनों पद कांग्रेस के खाते में आए थे। यदि मतदान की नौबत आती है तो इस बार दोनों पद भाजपा के हिस्से में आ सकते हैं।

17 साल बाद मजबूत विपक्ष, हंगामे के आसार
15 साल बाद वनवास काट सत्ता में लौटी कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Sarkar) भले ही 15 महिनों में बाहर हो गई हो लेकिन 17 साल बाद कांग्रेस (Congress) 96 विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में रहेगी और सत्ता पक्ष को किसान, कर्मचारी, युवाओं समेत कई मुद्दों पर घेरेगी। कांग्रेस विधानसभा के अंदर और बाहर जनता के मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगी, ऐसे में सत्ता पक्ष भी कई मुद्दों पर घेरता और घिरता नजर आएगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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