MP: बगावत पर भाजपा की बड़ी कार्रवाई, पूर्वमंत्री समेत 53 बागी नेता पार्टी से निष्कासित

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भोपाल| बीजेपी से बगावत कर चुनावी मैदान में ताल ठोकने वाले बागी नेताओं पर पार्टी ने बड़ी कार्रवाई की है| बगावत करने वाले नेताओं को बीजेपी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है| पूर्व मंत्री सरताज सिंह, रामकृष्ण कुष्मारिया, नरेन्द्र कुशवाह, समीक्षा गुप्ता सहित 53 बागी नेताओ को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है| यह सभी अपनी ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध मैदान में हैं, इन्हे अंतिम समय तक मनाया गया, लेकिन यह नहीं माने| 

नामांकन वापसी के आखिरी दिन बुधवार को भाजपा के बड़े नेता बागियों को मनाने की भरपूर कोशिश करते रहे, लेकिन कुछ माने और कुछ ने साफ़ इंकार कर दिया| पार्टी ने भी ऐसे नेताओं के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है| अनुशासनहीनता पर पार्टी ने सरताज सिंह, रामकृष्ण कुष्मारिया, नरेन्द्र कुशवाह, समीक्षा गुप्ता, लता मस्की, धीरज पटेरिया, राजकुमार यादव सहित 53 बागी नेताओं को निष्कासित कर दिया है| 

पूर्व सांसद कुसमरिया को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा हेलीकाप्टर से मनाने पहुंचे लेकिन वे नहीं मिले| बुंदेलखंड क्षेत्र में कुसमरिया कुर्मी वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं। उन्होंने दमोह और पथरिया सीट से नामांकन भर दिया है।  भिंड से भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी सपा के टिकट पर कूद पड़े हैं। बमोरी (गुना) से शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल निर्दलीय मैदान में हैं। भोपाल की हुजूर सीट से निर्दलीय खड़े पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवास पर मुलाकात के बाद पर्चा वापस ले लिया। वहीं पूर्व मंत्री सरताज सिंह कांग्रेस की टिकट पर होशंगाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं|  भाजपा के पूर्व मोर्चा अध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रहे धीरज पटेरिया ने राज्यमंत्री शरद जैन की सीट से ताल ठोकी है। पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर भोपाल की बैरसिया सीट से पार्टी उम्मीदवार विष्णु खत्री के खिलाफ खड़े हैं। इसी तरह पूर्व विधायक सुदामा सिंह अनूपपुर की पुष्पराज गढ़ सीट से खड़े हैं। पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ग्वालियर दक्षिण से मैदान में हैं|

 

कार्रवाई से भड़केंगे समर्थक 

बीजेपी की यह बड़ी कार्रवाई उन नेताओं को सबक सिखाने के लिए की गई है, जो पार्टी के खिलाफ ही मैदान में उतरे हैं और बड़े नेताओं के मनाने पर भी नहीं लौटे| लेकिन यह कार्रवाई कितनी सही साबित होगी यह समय बताएगा| क्यूंकि बड़े नेताओं पर कार्रवाई से कार्यकर्ता नाराज हो सकते है, साथ इनके समर्थकों की संख्या अधिक है जो पार्टी को नुक्सान भी पहुंचा सकते हैं|


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