MP Board: 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की बढ़ी परेशानी, यह है कारण

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश बोर्ड (MP Board) परीक्षा के लिए 9वीं से 12वीं तक की नियमित कक्षाएं शुरू होने के बाद 1 फरवरी से 6 फरवरी तक छमाही परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of public education) द्वारा परीक्षा (exam) कराने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं इसके लिए टाइम टेबल (time table)पर जारी कर दिया गया है। विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूलों (school) में अभी 50% कोर्स भी पूरे नहीं किए गए हैं। वहीं शिक्षकों में भी असंतोष की भावना है।

दरअसल कोरोना संक्रमण को देखते हुए लगातार 10 महीने तक स्कूलों को बंद रखा गया था। वहीँ 18 दिसंबर से प्रदेश के शासकीय स्कूल में 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू की गई थी। बावजूद इसके स्कूल में 50 फीसद विद्यार्थी ही पहुंच रहे हैं। वहीं ऑनलाइन क्लास (online classes) का संचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद विद्यार्थियों के माने तो अभी तक 50 फ़ीसदी कोर्स (courses) भी पूरी नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में छमाही परीक्षा का शुरू होना उनके लिए परेशानी का कारण है।

बता दे कि मध्यप्रदेश में 10वीं-12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा (pre-board exam) 20 मार्च से आयोजित की जाएगी। 9वीं से 11वीं तक के प्री-वार्षिक परीक्षा भी संचालित होगी। वहीं परीक्षा पूरी पाठ्यक्रम के आधार पर ली जाएगी। ऐसे में विद्यार्थियों को स्कूल में ना पहुंचना और कोर्स का पूरा ना होना विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षक और प्राचार्य के लिए भी चिंता का कारण बना हुआ है।

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इस मामले में शिक्षकों-प्राचार्य का कहना है कि विभाग द्वारा बच्चों के साथ-साथ शिक्षक और प्रचार के लिए भी टारगेट सेट किए गए हैं अब ऐसी स्थिति में बच्चों का पूर्ण रूप से नियमित कक्षाओं में पहुंचना और 10वीं और 12वीं की नियमित कक्षाओं का संचालन ना होना इस साल के रिजल्ट पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है। माना जा रहा है कि प्री-बोर्ड परीक्षा परिणाम के विश्लेषण के आधार पर अप्रैल माह में सभी स्कूलों में 10वीं और 12वीं की नियमित कक्षाओं का संचालन अनिवार्य कर दिया जाएगा।

इस मामले में शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में कोर्स के पूरे नहीं होने की वजह से छात्रों में दुविधा की स्थिति है। ऐसे में प्रदेश का रिजल्ट किस तरह बेहतर हो सकता है। वहीं स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि अभी तक 50 फीसद बच्चे ही स्कूल पहुंच पा रहे हैं। अभी पूरी कक्षा संचालित नहीं की जा रही है। ऐसे में फरवरी में छमाही परीक्षा और मार्च में प्री-बोर्ड परीक्षा में छात्रों का रिजल्ट प्रदेश के साथ-साथ हमारे लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शासकीय स्कूलों के प्राचार्य का कहना है कि अभिभावकों से लगातार संपर्क कर उनके बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है लेकिन अभी भी कई अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है।


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