MP News: विभाग को 400 करोड़ रुपए का नुकसान, मंडियों से आय बढ़ाने सरकार कर रही विचार

Kashish Trivedi
Published on -
किसान

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (hivraj singh chauhan) ने मंडी शुल्क को 1.50 प्रतिशत की दर से घटाकर 0.5 फीसद करने का फैसला किया था। कारोबारियों द्वारा मंडी शुल्क घटाने की मांग को सरकार द्वारा पूरा तो कर दिया गया लेकिन अब इसका खामियाजा विभाग (department) को भुगतना पड़ रहा है।

प्रदेश में मंडियों से बाहर कोई शुल्क वसूली ना होने की वजह से और सरकार द्वारा मंडी शुल्क में किए जाने की वजह से करीबन 400 करोड़ रुपए की कमी राजस्व में देखी गई है। जिसके बाद अब मंडियों से आय बढ़ाने की विकल्प पर विचार किया जा रहा है। वहीं अधिकारियों की माने तो अब मंडी शुल्क में छूट का कोई प्रस्ताव नहीं है। जिसके बाद 14 फरवरी से मंडी शुल्क में बढ़ोतरी कर वापस 1.5 रुपए प्रति 100 की खरीद पर शुल्क वसूला जाएगा।

दरअसल शुल्क में कमी की वजह से 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी के बाद अब इसका असर विभागों पर पड़ा जहां पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सड़कों के लिए राशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है इसके अलावा राजस्व में कमी हुई है किंतु खर्च पहले की ही तरह है। जहां अधिकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन के लिए सरकार को सरकारी खजाने का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

Read More: MP Politics: कमलनाथ का शिव’राज’ पर वार- सारे नारे बन गए जुमले

इसके अलावा कृषि अनुसंधान एवं अधोसंरचना निधि, मंडी समितियों में किसान की सुविधा के लिए कराए जाने वाले कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। जिसके बाद राज्य सरकार मंडी की परिसंपत्तियों का उपयोग कर आए बढ़ाने का विकल्प ढूंढ रही है।

वहीं कृषि विभाग द्वारा कैबिनेट में राजस्व की कमी का कारण बताए जाने के बाद विभाग ने शासन से बजट के माध्यम से राशि की मांग की है। इसके अलावा मंडियों से आय में वृद्धि करने के लिए पेट्रोल पंप (petrol pump)  खोलने साथ में कृषि बाजार बनाने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसके साथ ही 14 फरवरी से मंडी शुल्क वापस से प्रति 100 किलो की खरीद पर 1.5 रुपए वसूल किया जाएगा।

ज्ञात हो कि प्रदेश में मंडियों से करीब 1200 करोड़ रुपए की आय होती थी। जहां मंडी शुल्क प्रति 100 की खरीद पर 2 रुपए लिया जाता था। इसे घटाकर शिवराज सरकार ने 1.5 रुपए कर दिया था। इसके बाद व्यापारी संघ द्वारा कोरोना में ठप्प हुए व्यापार को देखते हुए मंडी शुल्क को घटाने की मांग की गई थी। जिसके बाद एक बार फिर कोरोना को देखते हुए मंडी शुल्क घटाकर 0.50 रुपए किया गया था।

अब इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी का कहना है कि मंडी शुल्क से को वसूली होती है। उसका 50 % हिस्सा मंडी बोर्ड के खर्चों की पूर्ति के लिए दिया जाता है। आय में कमी की वजह से कई कार्य प्रभावित हुए। वहीं ग्रामीण सड़कों के लिए 200 करोड़ रुपए नहीं दिए गए। जिसके बाद अब ऐसी स्थिति में राज्य शासन बजट के प्रावधान के अलावा मंडी प्रांगण से राजस्व वसूली के अलग तरीके तलाश कर रही है।


About Author
Kashish Trivedi

Kashish Trivedi

Other Latest News