भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिवराज सरकार (Shivraj Government) द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। इसके तहत मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में 27% आरक्षण लागू कर दिया है और सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है, हालांकि जिन परीक्षाओं और भर्ती पर जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई हैं, उनमें रोक बरकरार रहेगी।मप्र सरकार (MP Government) के इस फैसले पर अब सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था यानि सपाक्स का बड़ा बयान सामने आया है।उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था प्रदेश में अब पूरी तरह समाप्त की जावे।
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सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था सचिव का कहना है कि मप्र शासन ने निर्णय लिया कि जिन विभागों में मा उच्च न्यायालय (High Court) द्वारा स्थगन दिया गया है, उन्हें छोड़कर शेष विभागों की भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण (OBC Reservation) व्यवस्था से कार्यवाही की जा सकती है।यह उल्लेखनीय है कि 1 सितंबर 2021 को प्रकरण में हुई सुनवाई में सरकार के तमाम तर्कों के बावजूद उच्च न्यायालय द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% तक सीमित रखने के ही अंतरिम आदेश जारी रखे गए और अंतिम सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख तय की गई।
सपाक्स का मानना है कि जब 20-30 दिनों में ही अंतिम फैसला हो जाना है तो इतनी बैचेनी का कारण समझ से परे है। यह भी निश्चित है कि जैसे ही 27% के मान से भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होगी कोई न कोई पुन: न्यायालय की शरण लेगा और भर्तियों की प्रक्रिया बाधित होगी। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि पदोन्नति में आरक्षण फैसले पर कभी भी सरकार ने इतनी बैचेनी नहीं दर्शाई जबकि उस फैसले से भी अन्य पिछड़ा वर्ग सीधे रूप से प्रभावित होता है। विगत 5 वर्षों से सरकार की जिद के कारण सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय कर्मी (Government Employee) पदोन्नति से वंचित हैं। यह सरकार की दोहरी नीति का स्पष्ट उदाहरण है।
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सपाक्स हमेशा से अन्य पिछड़ा वर्ग को तुलनात्मक रूप से कम प्राप्त हो रहे आरक्षण का विरोध करता रहा है। सपाक्स यह मानता है कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था दोषपूर्ण है और वास्तविक वंचित आज भी लाभ से अछूते हैं। सपाक्स मानता है कि वर्तमान वास्तविकता यह है कि सभी वर्ग आर्थिक असमानता से बेहद पीड़ित हैं और वर्तमान आरक्षण व्यवस्था जातिवाद को घटाने की बजाय इसे और मजबूत कर रही है। स्वयं न्यायालय इस संबंध में लगातार टिप्पणी करते रहे हैं। अत: आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था में आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
सपाक्स यह भी चाहता है कि आरक्षण की सीमा 50% तक सीमित रखते हुए सभी वर्गों के वास्तविक वंचितों को आबादी के अनुपात में आर्थिक आधार पर इसका लाभ दिया जाए। ऐसा किए जाने पर इस सीमा के अंर्तगत ही अन्य पिछड़ा वर्ग को पर्याप्त आरक्षण दिया जा सकता है। पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक बाध्यता नहीं है। प्रदेश में पर्याप्त से अधिक प्रतिनिधित्व लगभग हर स्तर पर हो चुका है और स्वयं सरकार के मा न्यायालय में प्रस्तुत आंकड़े यह सिद्ध करते हैं अत: पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था प्रदेश में अब पूरी तरह समाप्त की जावे।