भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कभी मध्य प्रदेश (MP) की पूर्व विधानसभा रहे और वर्तमान में कन्वेंशन सेंटर मिंटो हॉल (Convention Center Minto Hall) का नाम बदलने की की मांग हो रही है। BJP और Congress दोनों दल के नेता इस मांग के समर्थन में आगे आए हैं। मध्यप्रदेश में इन दिनों नाम बदलने की कवायद चल रही है। सबसे पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन (Rani Kamalapati Station) रखा गया।
फिर मेट्रो स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। इंदौर के दो स्थानों के नाम टंट्या भील के नाम रखने की घोषणा हो गयी और अब पांच सितारा सुविधाओं वाला मिंटो हॉल इस श्रेणी में शामिल हो रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मांगी है कि हम आजादी का 75 वा अमृत महोत्सव बना रहे हैं। ऐसे में अंग्रेजी गुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलकर मामा टन्ट्या भील के नाम पर कर देना चाहिए।
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यह उनके बलिदान दिवस पर सच्चा तोहफा होगा। सलूजा ने लिखा है कि भाजपा की अगली कार्यसमिति की बैठक भी वही होनी है उसमें यह प्रस्ताव पारित होना चाहिए। वहीं बीजेपी के मुखर युवा नेता रजनीश अग्रवाल ने मिंटो हॉल का नाम महान शिक्षाविद, सागर में विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरिसिंह गौर के नाम पर करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है। रजनीश ने इस बारे में ट्वीट भी किया है।
मिंटो हॉल का इतिहास
मिंटो हॉल की नींव 12 नवंबर 1909 को रखी गई थी। साल 1909 में भारत के तात्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल आए। उन्हें उस समय राजभवन में रुकवाया गया था लेकिन वायसराय वहां की व्यवस्था देखकर काफी नाराज हुए। इसे देखते हुए तत्कालीन नवाब सुल्तानजहां बेगम ने आनन फानन में एक हॉल बनवाने का निर्णय लिया और इसकी नींव वायसराय लॉर्ड मिंटो से रखवाई।
उन्हीं के नाम पर इस हॉल का नाम मिंटो हॉल रखा गया। इस इमारत को बनने में करीब पच्चीस साल लगे और इस इमारत की संरचना शाहजहां बेगम के बेटे नवाब हमीदुल्ला खान ने पूरी की। इतनी भव्य औऱ सुंदर इमारत के निर्माण में उस समय कुल तीन लाख रूपये लगे थे। जिसके मुख्य आर्किटेक्ट एसी रोवन थे, जिनके द्वारा इस इमारत को आलीशान बनवाया गया।