सियासत का अजब संयोग: यहां से जो ‘मंत्री’ बना, अगली बार जीत न सका

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जबलपुर|  प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ सूबे की सत्ता के मुखिया बनने जा रहे है, लेकिन सत्ता के साथ जुड़ा हुआ एक मिथक जबलपुर का भी है, जबलपुर जिले से जो भी नेता मंत्री बना अगले चुनाव में उसे जीत नसीब नहीं हो पाई, यह मिथक पिछले कई सालों से चला रहा है इसके पूर्व के उदाहरणों पर नजर डाली जाए तो अजय विश्नोई, कौशल्या गोंटिया, शरद जैन और अंचल सोनकर को इसी मिथक के चलते विधायकी गंवानी पड़ी। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही जबलपुर में विकास की उम्मीदें बढ़ गई है और जबलपुर की 8 में से 4 सीटों पर जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के 4 विधायक मंत्री बनने का दावा ठोंक रहे हैं। जबलपुर में मंत्रियों की हार को लेकर जुड़ा मिथक टूटने का नाम नहीं ले रहा है, आलम ये है कि मंत्री बनने के बाद अगले ही चुनाव में वह नेता विधायक नहीं बन पाता है जो मंत्री पद को सुशोभित करता है, लिहाजा इस बार भी यह रिकॉर्ड बरकरार है| 

दरअसल 1980 से यह सिलसिला शुरू हुआ था, जो अभी जारी है…और इस कड़ी में शिवराज सरकार के मंत्री शरद जैन का नाम भी जुड़ गया| जबलपुर उत्तर-मध्य से चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन कांग्रेस के विनय सक्सेना से कड़े मुकाबले में सिर्फ 578 वोट से चुनाव हार गए है| मंत्री रहते हुए चुनाव हारने वाले नेताओं की फेहरिस्त की बात करें तो इसमें जबलपुर की सांसद रही जयश्री बैनर्जी से लेकर बीजेपी के कद्दावर नेता अजय विश्नोई का नाम शामिल है..।


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