भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। निवार (Nivar) के बीतते ही बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में एक बार फिर एक नया गहरा अवदाब का क्षेत्र बन गया है, जिसके बुधवार को तीव्र चक्रवाती तूफान (Cyclonic storm) में तब्दील होते श्रीलंका (Sri Lanka) के त्रिंकोमाली तट (Trincomalee Coast) पर टकराने की संभावना है, हालांकि इसका असर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) पर तो नही रहेगा लेकिन 2 से 4 दिसंबर तक दक्षिण भारत के कई शहरों में भारी बारिश (Heavy Rain) की संभावना जताई जा रही है।हालांकि 4 दिसंबर को एक पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर भारत में दस्तक देने के बाद मध्यप्रदेश के मौसम (MP Weather) में बदलाव देखने को मिलेंगे।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और अफगानिस्तान के बीच पश्चिमी विक्षोभ (Western disturbance) बना है। पश्चिमी विक्षोभ 4 दिसंबर को भारत पहुंचेगा। इसके असर से प्रति चक्रवात बन जाएगा, जिससे तापमान में बढ़ोतरी शुरु हो जाएगी। इसका असर कम होने के बाद जैसे हवा का रुख बदलेगा तापमान में कमी आना के आसार हैं। हालांकि बहुत ही कम अवसरों पर भोपाल शीत लहर से प्रभावित हुआ है, ऐसे में इस बार भी इसकी उम्मीद कम ही है।
मौसम विभाग की माने तो इस सिस्टम के उत्तर भारत की तरफ बढ़ने के बाद पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ बारिश होने की भी संभावना है और मप्र के आसपास ऊपरी हवा का चक्रवात बनेगा।जिसके चलते वातावरण में नमी बढ़ते ही बादल छाने से न्यूनतम तापमान बढ़ने लगेगा। पश्चिमी विक्षोभ के आगे बढ़ने के बाद सात दिसंबर से एक बार फिर हवा का रुख उत्तरी होने लगेगा और सर्द हवाओं से ठंड फिर लौटेगी।
विभाग की माने तो ग्वालियर (Gwalior) में दिसंबर का तीसरा सप्ताह ज्यादा ठंडा (Cold) रहने वाला है। शीतल लहर के आसार बनेंगे। चौथे सप्ताह में रात के साथ-साथ दिन में कड़ाके की ठंड दस्तक देगी। शीतल दिन के साथ शीत लहर, पाला भी पड़ेगा। कोहरे की वजह से दिन में सूरज के दर्शन भी कम होंगे।
अभी तापमान में उतार-चढ़ाव
प्रदेश में सर्दी के मुख्य दो महीनों में से 1 दिसंबर शुरू हो गया है। अभी दो-तीन दिन तापमान में गिरावट के बाद तापमान में फिर बढ़ोतरी होगी। 7 दिसंबर के बाद तापमान में खासी गिरावट आने के आसार है। राजधानी में रविवार रात न्यूनतम तापमान 1 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री दर्ज किया गया। 1 दिन पहले न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री दर्ज किया गया था। सोमवार को अधिकतम तापमान 28.6 डिग्री दर्ज किया गया था। प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी रात के तापमान में कमी आई है। अधिकतर स्थानों पर रात का तापमान 9 से 12 डिग्री के बीच दर्ज किया गया था। सबसे कम न्यूनतम तापमान 8 डिग्री उमरिया में दर्ज किया गया था।
इस महिने भोपाल में टूट सकता है 1966 का रिकॉर्ड
राजधानी (Capital) में इस बार नवंबर (November) में रात का न्यूनतम तापमान (Minimum Temperature)15 दिन से ज्यादा बार सामान्य से कम रहा है। इस आधार पर मौसम विभाग (Weather Department) इस बार राजधानी भोपाल (Bhopal) में दिसंबर में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जता रहा है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जीडी मिश्रा (JD Mishra) ने बताया कि यही हाल रहा तो भोपाल में इस बार पारा सामान्य से 3 से 4 डिग्री नीचे आ सकता है। रिकॉर्ड की बात की जाए तो 1966 में भोपाल में 11 दिसंबर की रात को न्यूनतम तापमान 3.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। मौसम विभाग को इस साल भी दिसंबर में रात का पारा सामान्य से 3 से 4 डिग्री तक नीचे जाने का अनुमान है। ऐसे में सर्दी इस बार पिछले 54 साल का रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
11 तारीख को ही बने तीन रिकॉर्ड
भोपाल के मौसम की एक और खास बात है कि 11 दिसंबर को बने 3 रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटे। मौसम विभाग के अनुसार भोपाल में दिसंबर माह का अधिकतम तापमान 11 दिसंबर 1941 को 32.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। न्यूनतम तापमान 11 दिसंबर 1966 को 3.1 डिग्री सेल्सियस रहा था। सबसे ज्यादा बारिश की बात की जाए तो यह भी 11 दिसंबर 1967 में 66.3 मिलीमीटर रिकॉर्ड की गई थी।
रात का पारा औसतन 11 डिग्री के आसपास
मौसम विभाग के अनुसार भोपाल में दिसंबर के महीने से सर्दी महसूस होने लगती है। यह अधिकतम शुष्क महीने रहता है। इस दौरान यहां सामान्य तापमान 15.9 डिग्री सेल्सियस से 23.4 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। जबकि न्यूनतम तापमान औसतन 11.3 डिग्री सेल्सियस रहता है। दिन का अधिकतम औसतन तापमान 26.4 डिग्री सेल्सियस रहता है। जबकि महीने में औसतन वर्षा 10.5 मिली मीटर तक रिकॉर्ड की जाती है।
इन राज्यों में चक्रवात का असर, भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग का कहना है कि इस नए सिस्टम से 2 तथा 4 दिसंबर के बीच पुदुचेरी तथा तमिलनाडु के आसपास लैंडफॉल हो सकता है वही तमिलनाडु के तटीय और उत्तरी भागों तथा दक्षिणी आंध्र प्रदेश और रायलसीमा क्षेत्र में भीषण वर्षा भी हो सकती है।मौसम विभाग ने हाई अलर्ट जारी किया है और मछुवारों को तटों पर जाने से मना किया है। हाल ही में निवार ने दक्षिण के इन राज्यों में जमकर तबाही मचाई थी, ऐसे में एक बार फिर तेज बारिश के चलते व्यापक रूप में नुकसान होने की आशंका है।