MPPSC : विवादों में घिरा चिकित्सकों की भर्ती का विज्ञापन, उम्मीदवारों में भारी आक्रोश

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सरकारी नौकरी (Government Jobs) का इंतजार कर रहे युवाओं (Youth)  के लिए खुशखबरी है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में डॉक्टरों (Doctors) की कमी को देखते हुए शिवराज सरकार (Shivraj Government) द्वारा 727 पदों पर भर्ती की जा रही हैं।इसके लिए मप्र लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission- MPPSC) ने 8 फरवरी को विज्ञापन जारी किया हैं, लेकिन इनमें अनारक्षित श्रेणी (Unreserved category)  के लिए एक भी पद नहीं छोड़ा गया हैं जिसको लेकर विरोध शुरू हो गया है। अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

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मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र गोस्वामी (State Medical Officer Association of MP Dr. Devendra Goswami) का कहना है कि चिकित्सकों के कमी को देखते हुए मप्र शासन (MP Government) द्वारा चिकित्सकों की भर्ती के लिए पीएसी (PSC) से विज्ञापन निकाला गया है । परन्तु इसमें सामान्य वर्ग के लिए कोई भी सीट नहीं है। सामान्य वर्ग के अनेक चिकित्सक वर्षों से संविदा पर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में कार्यरत है, उनके रिक्त पद न निकलने से उन सभी चिकित्सकों के मनोबल पर प्रभाव पड़ेगा। भविष्य में भी इससे चिकित्सकों की भर्ती में प्रभाव पड़ेगा।

मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र गोस्वामी ने मांग की है कि अनारक्षित श्रेणी के पद भरना चाहिए। स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों 853 पद हैं। इन्हें पदोन्न्त किया जाए तो चिकित्सा अधिकारी के नए पद बनेंगे।विज्ञापन के मुताबिक 727 पदों पर डॉक्टरों की भर्ती की जा रही हैं। इसमें ओबीसी श्रेणी के 401, एसटी के 253 और आर्थिक रूप कमजोर वर्ग के लिए 73 पद हैं। एससी श्रेणी के पद भी नहीं हैं।

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मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ ने रखी यह प्रमुख मांग

  • शासन स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के नए पदों को स्वीकृत करें ।
  • प्रदेश में चिकित्सकों की अत्यधिक कमी है नए पदों के सृजन से यह समस्या समाप्त की जा सकती हैं।
  • वर्तमान में कार्यरत चिकित्सकों को अगर पदोन्नति दे दी जाए या उन्हें उच्च पद पर अपग्रेड कर दिया जावे तब भी सामान्य वर्ग के पदों की रिक्तियाँ निकाली जा सकती हैं।
  • वर्तमान में कार्यरत संविदा चिकित्सकों को नियमित कर दिया जावे।
  • जनहित में उपरोक्त सुझावों पर शासन को ध्यान देना चाहिए जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में नए चिकित्सक आएँगे व स्वास्थ्य सेवाएं और सुद्रढ़ हो सकेंगी ।
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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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