भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा में पूछा गया भील जाति पर सवाल पर विवाद बढ़ता जा रहा है। वन मंत्री उमंग सिंघार ने परीक्षा पत्र बनाने वाले अफसरों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का कहा है। उन्होंने ट्विट कर सरकार से कहा है कि MPPSC की परीक्षा में भील समुदाय को अपराधी बताना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस समुदाय में टंटया भील जैसे वीर आते हैं,उस समुदाय के लिए इस तरह की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है। इस तरह के सवालों को समावेश कर पेपर सेट करने वाले अफसरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज होनी चाहिए।
उन्होंने लिखा है कि, मैंने जीवन भर आदिवासी समुदाय, भील जनजाति व सभी जनजातियो का बेहद सम्मान किया है, आदर किया है। मैंने इस वर्ग के उत्थान व हित के लिए जीवन पर्यन्त कई कार्य किये हैं। मेरी सरकार भी इस वर्ग के उत्थान व भलाई के लिए निरंतर कार्य कर रही है व करती रहेगी।
गौरतलब है कि राज्य सेवा प्रारम्भिक परीक्षा में एक प्रश्न में भील जनजाति को शराब में डूबी हुई जनजाति भी बताया है| इसमें उल्लेख किया गया है कि भीलो की आपराधिक प्रवृत्ति का एक प्रमुख कारण यह है कि यह सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते। फलतः धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में भी संलिप्त हो जाते हैं। वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे प्रश् पत्र की कॉपी शेयर करते हुए फसेबूक पर लिखा ‘Mppsc ने आज परीक्षा में भील समाज पर आपत्तिजनक प्रश्न पूछे। आजादी के 72 साल बाद भी पूछा जा रहा है कि वो अपराध क्यो करते हैं ?साहूकारी के शोषण के अलावा अनैतिक कार्यों को गरीबी का कारण बताया है’