MP के उच्च शिक्षा विभाग का फैसला- ऐसा किया तो मेडिकल बोर्ड के सामने होंगे पेश

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नए शैक्षणिक सत्र 2021-2022 (New academic session 2021-2022) से पहले मध्य प्रदेश (MP) के उच्च शिक्षा विभाग(Higher Education Department)  ने एक और बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब कॉलेज के प्राध्यापकों (College professors) को दो हफ्ते से ज्यादा की छुट्टी पर जाने से पहले मंजूरी लेनी होगी। वही 1 जनवरी 2020 के बाद 14 दिन से ज्यादा छुट्टी पर गए प्राध्यापको को मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए है।

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दरअसल, सरकारी कॉलेज (Government College) के सहायक प्राध्यापकों और प्राध्यापकों के बिना बताए लंबी छुट्टी पर जाने  पर अब उच्च शिक्षा विभाग ने सख्त रवैया अपनाया है। विभाग ने सभी कॉलेजों को निर्देश जारी किए हैं कि जो भी प्राध्यापक 14 दिन या उससे ज्यादा की छुट्टी पर जाए तो पहले मंजूरी लें।

इसके अलाा बीते साल 1 जनवरी 2020 के बाद 14 दिन से 3 माह तक स्वास्थ्य अवकाश पर गए सभी प्राध्यापकों को मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होने के निर्देश जारी किए गए हैं।इसके बाद अब कोई प्राध्यापक बिना छुट्टी की मंजूरी लिए गायब नहीं हो सकेंगे, वरना उन्हें बोर्ड (Medical Board) के सामने पेश होना होगा और कोई ठोस कारण बताना होगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 10 दिन पहले निर्देश जारी किए गए थे कि 14 दिन से तीन माह बगैर बताए छुट्टी पर रहे कर्मचारी अनिवार्य रूप से मेडिकल बोर्ड के सामने प्रस्तुत हों। इस संबंध में भोपाल के कॉलेजों में प्राध्यापकों-सहायक प्राध्यापकों को निर्देश जारी कर दिए गए थे। शुक्रवार को जिला अस्पताल में बोर्ड लगना है। इसलिए प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक इसकी तैयारी में थे। इसके पहले ही निर्देश बदल गए।

इसके अलावा एक उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दूसरा भी आदेश जारी किया गया है जिसमें 1 फरवरी 2020 के बाद 2 माह से ज्यादा स्वास्थ्य अवकाश पर रहने वालों प्राध्यापकों की विभाग ने जानकारी मांगी है, लेकिन इसमें मेडिकल बोर्ड के सामने हाजिर होने के निर्देशों का जिक्र नहीं किया गया है।

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इधर, प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (Provincial Government College Professors Association)ने मप्र की राज्यपाल (MP Governor) आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखा है। संंघ ने तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के चलते सभी विश्वविद्यालय की परीक्षा ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन (exam online 2021) कराने की मांग की गई है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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