मंत्री के बेटे को मिली चपरासी की नौकरी, Nepotism के तमाम किस्सों के बीच जानिए इस खुद्दार युवा के बारे में

Minister's son got the job of peon

Minister’s son got the job of peon : हमारे यहां कुछ बातें यूं ही स्वीकार ली जाती है..जैसे फिल्म स्टार का बेटा फिल्मों में ही जाएगा या फिर नेता का बेटा राजनीति ही करेगा। हालांकि ये कोई नियम नहीं हैं..इस बात के हजारों अपवाद भी हैं। लेकिन ये प्रैक्टिस अक्सर देखी गई है। इसे कई लोग nepotism भी मानते हैं..लेकिन जो चलन चल पड़ा है, वो चल पड़ा है। खासकर राजनीति की बात करें तो नेता का बेटा अगर राजनीति में नहीं भी जाए तो कहीं न कहीं अपने पिता के पद का लाभ उसे मिलता ही है। ऐसे में हम आपके लिए एक बिलकुल अलग तरह खबर लेकर आए हैं।

नेता का बेटा चपरासी!

क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी नेता का बेटा चपरासी बना हो। ये मामला है झारखंड का…यहां श्रम नियोजन सह प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे का। मुकेश कुमार भोक्ता का चयन चतरा व्यवहार न्यायालय में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी (चपरासी) के पद के लिए हुआ है। 28 साल का मुकेश इस नौकरी को पाकर खुश भी है। उनका कहना है कि वो कभी राजनीति में नहीं जाना चाहते थे और वो ये नौकरी जॉइन करेंगे। वहीं मंत्रीजी के भतीजे भी इस नियुक्ति में वेटिंग लिस्ट में हैं। सिलेक्टेड कैंडिडेट्स की सूची 1 दिसंबर को जारी की गई है और इसमें मुकेश भोक्ता का नाम शामिल है। अब उन्हें 12 दिसंबर तक नौकरी जॉइन करना है।

एक अनूठा उदाहरण

बता दें कि सत्यानंद भोक्ता लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से चतरा विधायक हैं। उनके बेटे मुकेश की पिछले साल दिसंबर में शादी हुई थी और इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई मंत्री और विधायक शामिल हुए थे। अब मंत्रीजी के बेटे की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी लगने की खबर से स्थानीय लोग हैरान हैं। ये बात किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही कि किसी मंत्री का बेटा भी भला चपरासी की नौकरी कर सकता है। लेकिन ये खबर इस लिहाज़ से बहुत अच्छी है कि कोई तो है जो अपने पिता के पद और ताकत का बेज़ा इस्तेमाल करने की बजाय अपनी मेहनत से जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता है। ये खबर इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि जब चारों तरफ भाई-भतीजावाद का माहौल चल रहा है तो ऐसे में एक युवा सामने आया है जो अपनी मर्जी से परोसे गए कई बेहतर विकल्पों को छोड़ रहा है। इससे ये भी पता चलता है कि आज युवाओं के लिए नौकरी पाना कितना कठिन है और रोजगार के नए विकल्प पैसा करना सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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