भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के आते ही अब प्रशासनिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला ई टेंडरिंग घोटाला जनता के सामने आ पाऐगा। दरअसल इस घोटाले के बाहर आने के बाद मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक मधु कुमार को निर्देश दिए थे कि वे इस मामले में एफआईआर दर्ज करें। बावजूद इसके ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज नहीं की और ईओडब्लू की जांच भी अब तक इस मामले में नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है।
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई क्यों नहीं की यह भी अब जांच का विषय बन गया है। इस मामले में सूत्रों की मानें तो 2014 से लेकर 2018 तक लगभग 50 हजार करोड़ के टेंडर दिए जाने में गड़बड़ी हुई है। इस घोटाले में जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगरी प्रशासन विभाग, लोक निर्माण विभाग जैसे लगभग एक दर्जन विभाग शामिल है। यदि घोटाले की सही जांच हुई तो इसके लपेटे में कई आईएएस अधिकारी भी आएंगे। लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने अपनी पहली ही बैठक के बाद ई टेंडरिंग घोटाले का पर्दाफाश करने की बात कही है और यह भी कहा है कि इस ठेके में जिन ठेकेदारों के टेंडर शामिल है, उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा लेकिन क्या सचमुच ऐसा हो पाएगा यह देखने वाली बात होगी