भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग (Madhya Pradesh Human Rights Commission) ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान (Additional Chief Secretary Mohammad Suleman) पर बड़ी कार्रवाई की है। अपर मुख्य सचिव 28 जनवरी को आयोग में उपस्थित होने के निर्देश के साथ कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया है। इसके अलावा आयोग द्वारा 5000 रूपये का जमानती गिरफ्तारी वारंट (Bailable Arrest Warrant) भी जारी किया जाएगा।
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दरअसल, म.प्र. मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन (Justice Narendra Kumar Jain) द्वारा आयोग में प्रचलित प्रकरण क्र. 8681/भोपाल/2019 में कई स्मरण पत्र देने के बावजूद अबतक प्रतिवेदन न भेजने के कारण अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, स्वास्थ्य विभाग मोहम्मद सुलेमान को 28 जनवरी 2021 को आयोग के समक्ष व्यक्तिशः उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिये कहा गया है।आयोग द्वारा अपर मुख्य सचिव सुलेमान को कारण बताओ सूचना पत्र एवं 5,000 रूपये का जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है। इस कारण बताओ सूचना पत्र एवं जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामीली DIG मुख्यालय, भोपाल (Bhopal) के माध्यम से कराने के लिए 08 जनवरी 2021 को ही आयोग द्वारा पत्र भेज दिया गया है।
दरअसल, आयोग द्वारा भोपाल के एक अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ”50 Women made to lie on floor after sterilization, again” {शिवपुरी में स्टरलाईजेशन के बाद 50 महिलाओं को फर्श पर लेटाया} पर संज्ञान लेकर 17 दिसम्बर 2019 को प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, स्वास्थ्य विभाग से प्रतिवेदन मांगा था। इसके बाद भी कई स्मरण पत्र देने के पश्चात् 6 नवम्बर 2020 को अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को नामजद स्मरण पत्र जारी कर 16 दिसम्बर 2020 तक प्रतिवेदन देने अन्यथा 16 दिसम्बर 2020 को आयोग समक्ष उपस्थित होने के लिए सूचना पत्र जारी किया गया था। परन्तु उनके द्वारा न तो प्रतिवेदन दिया गया, न ही वे आयोग के समक्ष उपस्थित हुए।
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इस पर आयोग द्वारा अब 28 जनवरी 2021 को आयोग के समक्ष उपस्थित होने हेतु नोटिस एवं जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। प्रकरण के अनुसार शिवपुरी जिले (Shivpuri) में स्टरलाईजेशन के बाद 50 महिलाओं को फर्श पर लेटने के लिए मजबूर होना पडा। जिला अस्पताल (District Hospital) शिवपुरी में घटी इस घटना पर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों इस गंभीर मामले की जांच कराने और दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने की बात कही गई थी। आयोग ने प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, स्वास्थ्य विभाग से प्रतिवेदन मांगा था। परन्तु प्रतिवेदन अबतक अप्राप्त है।