भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी फिजूलखर्ची में कटौती करने के लिए सराकर नित नए प्रयोग कर रही है। वित्त मंत्री तरूण भनोत ने हाल ही में अफसरों और मंत्रियों द्वारा सरकारी गाड़ी के उपयोग पर कैंची चलाई। उन्होंने आदेश दिया कि अब प्रदेश में अफसर और मंत्री एक ही सरकारी वाहन का इस्तेमाल करेंगे। सरकार किसान कर्ज माफी की भरपाई फिजूलखर्ची में कटौती करके करना चाहती है। आदेश तो कागज पर लागू हो गया लेकिन अफसरों पर अबतक इसका असर नहीं हुआ।
दरअसल, आदेश जारी होने के अगले दिन भी राजधानी भोपाल में अफसरों का वाहन मोह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अफसरों के बंगलों में आदेश जारी होने के बाद भी एक से अधिक गाड़ियां खड़ी दिखीं। सूत्रों के मुताबिक कई आईएएस और आईपीएस अफसर एक से अधिक वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अपना रूतबा बनाए रखने के लिए ये अफसर वाहन का मोह छोड़ना नहीं चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक अफसर इस्तेमाल तो एक वाहन का करते हैं लेकिन बंगले में खड़ी एक अधिक कारें रहती हैं। जिनका इस्तेमाल परिवार के सदस्य करते हैं। इनमें उनके बच्चे और पत्नी भी शहर की सैर करते हैं। जबकि इन गाड़ियों का रख रखाव का खर्च सब सरकारी पैसे से होता है। आदेश जारी होने के बाद भी अफसर वाहन वापस करने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
सरकार अपने वचनपत्र में किए गए वादों को पूरा करने की कोशिश कर रही है। इस लिए वित्त विभाग ने विभिन्न विभागों से उनका प्रति माह के खर्च का ब्योरा भी मांगा था। इसमें सबसे बड़ा वादा है किसान कर्ज माफी। सरकारी खर्च पर लगाम लगाने के लिए सरकार विभिन्न प्रयास कर रही है। लेकिन अफसरों का वाहन प्रम कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
जीपीएस लगाया जाए
आरटीआई अक्टिविस्ट अजय दूबे ने मांग कि है की सरकार अपने आदेश पर अमल करवाने के लिए सरकारी वाहनों में जीपीएस लगवाए। जिससे ये पता चल सके गाड़ियों का सही इस्तेमाल कहां हो रहा है। अगर ये कदम उठाया जाएगा तो सरकारी वाहनों की जानकारी सही तरह से सबके सामने होगी।