इंदौर।
लंबे मंथन के बाद बीजेपी ने शंकर लालवानी को इंदौर से उम्मीदवार बनाया है। लेकिन लालवानी के ना की घोषणा होते ही विरोध के सुर फूटने लगे है।शंकर लालवानी का टिकट तय होते ही भाजपा से ही जुड़े शहर के दूसरे सिंधी नेता ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। नेता के ऐलान के बाद ही पार्टी में हड़कंप मच गया है। पार्टी नेताओं द्वारा लगातार मलानी को मनाने की कोशिश की जा रही है। माना जा रहा है कि अगर मलानी चुनाव लड़ते है तो वोटों का जमकर बिखराव होगा जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
दरअसल, शंकर लालवानी का टिकट तय होते ही भाजपा से ही जुड़े शहर के दूसरे सिंधी नेता विजय मलानी ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। मलानी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे। मलानी और उनके करीबियों ने सीधे संकेत दिए कि विजय मलानी लोकसभा का नामांंकन दाखिल करेंगे और प्राधिकरण में शंकर लालवानी के कई मुद्दे भी उठाएंगे जिससे शंकर लालवानी लोकसभा चुनाव में और संकट में आ जाएंगे।वही मालानी ने कहा कि पार्टी ने जिताऊ उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है, इसलिए निर्दलीय लड़ने पर एक-दो दिन में फैसला करूंगा।इंदौर के स्थानीय नेताओं ने भी लालवानी का खुलकर विरोध किया। सूत्र की माने तो मलानी का युवाओं पर बडा फोकस होने वाला है। खास बात यह है कि लालवानी के आईडीए अध्यक्ष रहते हुए मलानी आईडीए में उपाध्यक्ष थे। मलानी को लालवानी का परंपरागत विरोधी माना जाता है।
वही इस बगावत के बाद बीजेपी में भूचाल मच गया है।वही सिंधी समाज में भी रोष व्याप्त है। समाज का एक धड़ा मलानी को तो दूसरा धड़ा लालवानी को समर्थन दे रहा है।हालांकि पार्टी द्वारा लगातार मलानी को मनाने की कोशिश की जा रही है।विजय मलानी की नाराजगी अब भाजपा किस तरह के दूर करती है या फिर चुनाव लडने देकर उन्हें हमेशा के लिए कमजोर कर देना चाहती है, या इसका जीत पर कितना असर होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
गौरतलब है कि टिकटों के ऐलान के बाद से ही बीजेपी में जमकर हड़कंप मचा हुआ है। पार्टी में लगातार अंतरकलह सामने आ रही है। नेता बगावत पर उतर आए है। कई सांसद टिकट कटने से नाराज है तो कई पैराशूट उम्मीदवार को मैदान में उतारे जाने से तो कई बाहरी नेता को लेकर । करीब 29 में से 10सीटों पर विरोध तेज है, जिनमें शहडोल, मंडला, बालाघाट समेत दस सीटे शामिल है।हालांकि पार्टी ने बागियों को मनाने की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज को सौंप रखी है बावजूद इसके नेता मानने को तैयार नही है। कई जगह तो नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भर चुके है और कई तैयारी मे है।ऐसे में चुनाव से पहले इन सब से निपटना बीजेपी के लिए चुनौती बना हुआ है।