भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा के विधानसभा क्षेत्र मल्हारगढ़ में जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत ने एक बार फिर प्रदेश में व्यापक स्तर पर चल रहे जहरीली शराब के कारोबार का काला सच सामने ला दिया है। दरअसल सस्ती शराब के लालच में अवैध शराब का कारोबार वैध शराब के कारोबार को मात देता नजर आ रहा है।
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जनवरी 2021 में मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें सुमावली के पहाड़ी गांव में 5 और बागचीनी के मानपुर गांव में 7 लोग मरे थे। सरकार ने उस समय कार्रवाई की, जिला आबकारी अधिकारी को निलंबित किया गया, पुलिस अधिकारी पर भी गाज गिरी। लेकिन कोई सटीक कार्यवाही नहीं हुई। उसके बाद छतरपुर जिले के एक गांव में देसी शराब पीने से पिता-पुत्र सहित चार लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन कार्रवाई के नाम पर वही निलंबन या कारण बताओ नोटिस और इसके चलते ही प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार रुक नहीं पा रहा है। दरअसल अवैध शराब का कारोबार होने की प्रमुख वजह देसी शराब की कीमत है जहां देसी शराब 80 में आती है वही अवैध शराब मात्र 20 से 30 रूपये में मिल जाती है और जब इस अवैध शराब में मिथाइल अल्कोहल की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो वह जहरीली हो जाती है और जानलेवा हो जाती है। इस शराब का कारोबार इतना व्यापक हो चुका है कि चांदी के सिक्कों की खनक में आबकारी और पुलिस के लोग भी सब कुछ जानने के बाद भी चुपचाप बैठे हैं और अब तो हद ही हो गई जब प्रदेश के आबकारी मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही लोग अवैध शराब से दम तोड़ने लगे तो समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी भयावह है।
कैसे बनती है अवैध शराब
कच्ची शराब को महुए की लहान से बनाया जाता है। इसमें नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है और इसे सड़ाने के लिए कुत्ते की शौच और ऑक्सीटॉसिन का भी इस्तेमाल किया जाता है। जब ऑक्सीटॉसिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो वह जहरीली हो जाती है और मौत का कारण भी बनती है। कई बार सड़े संतरे, उसके छिलके और सड़े अंगूर से भी लहान तैयार होती है। इस शराब में यूरिया और ऑक्सीटोसिन जैसे केमिकल मिलने से मिथाइल एल्कोहल बन जाता है जो कि शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज कर देता है और शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं और कई बार इससे तुरंत और कई बार धीरे-धीरे मौत होती है।