भोपाल। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से विधानसभा चुानव के बाद अब पलायन शुरू हो गया है। गांववालों ने शहरों का रुख करना शुरू कर दिया है। गांव खाली होने लगे हैं। अगर कोई वहां बचा है तो बुजुर्ग और महिलाओं के साथ छोटे बच्चे। नवंबर में हुए मतदान के लिए बंदेलखंड से मजदूर और दूसरे काम करने वाले लोग गांव में ही जमे थे। इस बार बुंदेलखंड में रिकार्ड मतदान हुआ। इसके पीछ जनता में सरकार के खिलाफ नाराजगी बताई जा रही थी।
दरअसल, बुंदलेखंड में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। जिसे पूर्व सरकार भी खत्म करने में नाकामयाब हुई पानी की कमी के कारण फसलें भी यहां खराब हो जाती है इसलिए अब किसान अपना पेट पालने के लिए शहरों में मजदूरी या फिर दूसरे काम करने के लिए मजबूर हैं। बड़ी संख्या में मजदूरों को काम पर लौटते देख जा रहा है। खजुराहो स्टेशन से ये मजदूर ट्रेन और बसों से दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। कुछ झांसी के लिए छतरपुर से बस पकड़ रहे हैं। सबसे अधिक बिजावर और बड़ामल्हाढ़ा से मजदूर शहरों में जा रहे हैं। समाज सेवी संजय सिंह और राजेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ ऐसे गांव हैं जो पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। दस फीसदी से अधिक मजदूर दिल्ली और आस पास के इलाकों में स्थाई रूप से बस चुके हैं। वह अब सिर्फ तीज त्योहारों पर ही गांव लौटते हैं। इस बार चुनाव के समय मजदूर अपना मतदान करने के लिए ही आए थे। जिससे बीजेपी को लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि बारिश नहीं होने से खरिफ फसल बर्बाद हो गई। फिर यहां पनपे पानी के संकट ने किसानों और मजदूरों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। गरीब मजदूरों को भी फसल क्षति और फसल बीमा का उचित मुआवजा नहीं मिला।
मजदूर बेनी प्रसाद ने खजुराहो स्टोशन पर अपने साथियों के साथ दूसरे शहर के लिए ट्रेन ली। जाने से पहले उन्होंने बताया कि वोट डालने के लिए हम अपने गाँव के ठेकेदार द्वारा भेजे गए थे। उन्होंने दिल्ली से छतरपुर गांव तक यात्रा के लिए हमारी व्यवस्था की और भुगतान किया। अब, हम वापस जा रहे हैं। जिला कलेक्टर रमेश भंडानी ने कहा कि मजदूर दिवाली के दस दिन बाद चले जाते हैं। प्रशासन ने काम शुरू किया था और 25 हजार से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे। फिलहाल 12 से 15 हजार मजदूर काम कर रहे हैं और कुछ वापस जा रहे हैं।