भारत की सबसे युवा CEO में शुमार राधिका गुप्ता एक समय करना चाहती थी सुसाइड, दुनिया को बताई अपनी कहानी

Shruty Kushwaha
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। किसी भी सफलता के पीछे एक लंबा संघर्ष होता है। हर जगमगाहट किसी न किसी अंधेरे से जूझकर ही और दमकती है। ऐसी ही कहानी है देश के सबसे युवा सीईओ में शामिल राधिका गुप्ता (Radhika Gupta) की। एडलवाइज ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड (Edelweiss Asset Management Limited) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) राधिका गुप्ता ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में अपनी कहानी लिखी है।

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राधिका गुप्ता का जन्म टेढ़ी गर्दन के साथ हुआ था। उन्होने लिखा है कि ‘मैं एक टेढ़ी गर्दन के साथ पैदा हुई थी, लेकिन ये बात मुझे घर से बाहर निकालने के लिए नाकाफी थी। अपने स्कूल में मैं हमेशा एक नई अनजान बच्ची थी। मेरे पिताजी राजनयिक थे और भारत आने से पहले में पाकिस्तान और न्यूयॉर्क में रही। मेरे नाइजीरिया पहुंचने से पहले मेरे भारतीय लहजे को जज करते हुए मुझे अपू नाम दिया गया जो द सिम्पसंस का एक कैरेक्टर है। उस समय मुझमें आत्मसम्मान की कमी थी और मेरे स्कूल मं हमेशा मुझे अपनी मां के साथ तुलना का सामना करना पड़ा। मेरी मां उसी स्कूल में काम करती थी और लोग मुझे उनके मुकाबले असुंदर बताते थे। उस समय एक दोस्त ने  सहायता की और मुझे मनोरोग वार्ड में पहुंचाया। मुझे डिप्रेशन था और वहां से बाहर केवल इसलिए निकलने दिया गया क्योंकि मुझे एक जॉब इंटरव्यू के लिए जाना था। उस दिन मैंने वो जॉब पाने में सफलता हासिल की। अब मेरा जीवन सही ट्रेक पर था। लेकिन तीन साल बाद 2008 में मैं फिर आर्थिक संकट से जूझ रही थी। मुझे बदलाव चाहिए था और इसके बाद मैंने भारत का रूख किया। 25 साल की उम्र में मैंने अपने पति और एक दोस्त के साथ मिलकर संपत्ति प्रबंधन फर्म की शुरूआत की।’

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इसके बाद की कहानी काफी प्रेरक है। राधिका बताती है कि ‘कुछ साल बाद उनकी कंपनी को एडलवाइस एमएफ द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कॉर्पोरेट सीढ़ी चढ़ने लगी। मेरे पति ने मुझे कंपनी के सीईओ के रूप में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उस समय मेरे पास अनुभव की कमी थी लेकिन अपने कार्यकौशल के बल पर 33 की उम्र में मैं भारत के सबसे युवा सीईओ में से एक थी। अगले साल मुझे एक इवेंट में वक्ता के रूप में बुलाया गया तो मैंने अपने बचपन के अनुभव और सुसाइड करने के खयाल की बात को भी साझा किया और बताया कि किस तरह अपने झंझावातों से बाहर आई। मेरी बात आगे बढ़ती गई और फिर मुझे टेढ़ी गर्दन के साथ पैदा हुई लड़की के रूप में जाना जाने लगा। लोगों ने मेरे अनुभव शेयर किए और इस तरह मैं और मेरा आत्मविश्वास आगे बढ़ते रहे।’ इस तरह राधिका गुप्ता ने जन्मजात और परिस्थितिजन्य कठिनाईयों से पार पाकर अपने लिए नई राह बनाई और अन्य लोगों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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