Rang Panchami : आज देशभर में रंगपंचमी का त्योहार पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व होली के ठीक पांचवें दिन आता है और एक बार फिर रंगों की फुहारों में लोग भीग जाते हैं। आज के दिन सुबह से ही गलियों और मोहल्लों में रंग-गुलाल की बौछार शुरू हो गई है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी इस त्योहार के रंग में डूबे नजर आ रहे हैं। कहीं पिचकारियों से रंगों की बारिश हो रही है, तो कहीं लोग एक-दूसरे के चेहरे पर अबीर और गुलाल लगाकर खुशियां बांट रहे हैं।
आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा है ‘रंगपंचमी की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रेम, सौहार्द और उमंग से भरा यह पावन पर्व आपके जीवन में आनंद, उल्लास और खुशियों के नए रंग भरे, तथा सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आए, यही कामना करता हूँ।’

रंगपंचमी का धूम
रंगपंचमी का यह त्योहार खास तौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। कई जगहों पर स्थानीय समुदायों द्वारा विशेष आयोजन किए जाते है जिनमें नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। आज कई जगहों पर हुरियारों की टोली निकलती है और ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग थिरकते नज़र आते हैं। घरों में महिलाएं पारंपरिक मिठाइयां जैसे गुजिया, मालपुआ और पूरन पोली बनाकर त्योहार की मिठास और बढ़ा देती हैं। रंगपंचमी के त्योहार को लेकर कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। आइए ऐसी ही कुछ कहानियां जानते हैं।
राधा-कृष्ण और रंगोत्सव
इस दिन को श्रीकृष्ण और राधा से जोड़कर देखा जाता है। मान्यतानुसार, कृष्ण भगवान ने होली के दिन राधा और गोपियों के साथ खूब रंग खेला था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, रंगपंचमी के दिन विशेष रूप से ब्रजभूमि (मथुरा-वृंदावन) में रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसे ब्रज की होली के समापन के रूप में भी देखा जाता है।
रंगपंचमी और देव-दानव संघर्ष
मान्यता है कि रंगपंचमी का संबंध सतोगुण की ऊर्जा को जागृत करने से है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ था। देवताओं ने जब दानवों पर विजय प्राप्त की तो उन्होंने प्रसन्नता में इंद्रदेव के साथ रंगों की वर्षा की थी। इस दिन को शुभ मानते हुए, लोग इसे रंगों से खेलने का पर्व मानते हैं।
राजशाही परंपरा और पेशवाओं की रंगपंचमी
महाराष्ट्र में पेशवाओं के शासनकाल के दौरान रंगपंचमी का विशेष महत्व था। कहा जाता है कि पेशवा राजाओं ने इसे एक भव्य उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया था जहां लोग अबीर-गुलाल उड़ाकर खूब खुशियां मनाते थे। आज भी महाराष्ट्र के कई स्थानों पर और मध्यप्रदेश में भी कई जगह रंगपंचमी पर शानदार झांकी और जुलूस निकाले जाते हैं।
पंचमी तिथि और पंचतत्व
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगपंचमी पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) को संतुलित करने का पर्व है। यह दिन प्राकृतिक ऊर्जा को संतुलित करता है और वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। हिंदू धर्म में पंचतत्व को सृष्टि की मूलभूत इकाइयां माना जाता है। कहा जाता है कि हमारा शरीर, यह संसार, और यहां तक कि आध्यात्मिक ऊर्जा भी इन पंचतत्वों से ही निर्मित हैं।
आप सभी को रंग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज के इस पावन अवसर पर मैं अशोकनगर जिले के करीला धाम जा रहा हूं, जहां माता सीता जी हम सभी को आशीर्वाद दे रही हैं।
इसके बाद रंगों की अनूठी खुशी देखने इंदौर की प्रसिद्ध गैर में भी शामिल रहूंगा।
रंगों का ये उल्लास हम सभी के जीवन में… pic.twitter.com/O43BsmCApy
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) March 19, 2025