रतलाम ।
कर्नाटक के कारवार में आईएनएस विक्रमादित्य पर लगी आग बुझाने के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र चौहान शहीद हो गए। बताया जा रहा है कि चौहान ने टीम का नेतृत्व करते हुए आग पर काबू पा लिया था, लेकिन आग के धुएं से बेहोश हो गए, इसके बाद उन्हें आनन-फानन में नौसेना के कारवार अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। चौहान रतलाम के रहने वाले थे और डेढ़ महिने पहले ही उनकी शादी हुई थी। आज शनिवार को उनकी पार्थिक देह रतलाम आएगी जहां उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दरअसल, साल 2013 में चौहान ने भारतीय नौसेना को ज्वाइन किया था। वह रतलाम की रिद्धि सिद्धि कॉलोनी में रहते थे. हादसे के बाद दोपहर 1:30 बजे नौसेना के अधिकारियों ने उनकी मां टमाकुंवर को फोन पर धर्मेंद्र के शहीद होने की खबर दी।खबर सुनने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। नौसेना की जानकारी मिलने के बाद उनकी पत्नी करुणा आगरा से ही परिजनों के साथ गोवा रवाना हो गईं है। 10 मार्च को ही धर्मेंद्र की शादी हुई थी। छुट्टी खत्म होने के बाद वह 23 मार्च को वापस लौट गए थे।पत्नी के अलावा धर्मेंद्र के परिवार में उनकी मां टमा कुंवर और बहन ज्योति सिंह हैं। धर्मेंद्र की शहादत की खबर मिलने के बाद परिवार सदमें में है। शहीद धर्मेंद्र सिंह का पार्थिव देह आज शनिवार को रतलाम लाया जाएगा जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शहर के पहले राष्ट्रीय खो-खो खिलाड़ी रहे चौहान
धर्मेंद्र ने सागोद रोड स्थित जैन स्कूल में कक्षा 6टी से 12वीं तक पढ़ाई की थी। स्कूल के पीटीआई संजय शर्मा, सहायक कोच दुर्गाशंकर से उसने खो-खो की ट्रेनिंग ली थी। उसने खो-खो की राष्ट्रीय स्पर्धा में हिस्सा लेकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। सहायक कोच मोयल के अनुसार खो-खो में राष्ट्रीय तक पहुंचने वाला वह पहला खिलाड़ी था। पांच बार संभाग स्तरीय खो-खो में टीम का नेतृत्व भी कर चुका है।
मेरा बेटा रियल हीरो था- धमेन्द्र की मां
शहीद धमेन्द्र की मां ने कहा कि मेरा रियल हीरो चला गया। मां ने बताया कि पांच लोग आग में फंसे हुए थे। लेकिन बेटे ने अपनी जान की परवाह किए बगैर उनको बाहर निकाला। लेकिन इस फर्ज को निभाने में वो शहीद हो गए। भगवान ने एक झटके में मेरा सबकुछ छिन लिया। भगवान को मुझपर दया नहीं आई। ये मंजर जिसने भी दिखा उसका दिल भी भर आया।
नौसेना ने दिए जांच के आदेश
नौसेना ने जांच के लिए ‘बोर्ड ऑफ इन्क्वॉयरी’ के आदेश दिए हैं। नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान की बहादुरी से आग को बुझा लिया गया। हम उनके साहस औैर कर्तव्यनिष्ठा को सलाम करते हैं। बता दे कि आईएनएस विक्रमादित्य पर 2016 में भी हादसा हो चुका है। तब जहरीली गैस लीक होने से दो नौसैनिकों की जान चली गई थी।