जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2021) में जिला, जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में नए आरक्षण की बजाय साल 2014 के आरक्षण पर चुनाव करवाने के मामले में आज मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने 9 नवम्बर को अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की भी सुनवाई करने को कहा है।
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आज की सुनवाई में याचिकाकर्ता के ओर से सीनियर अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम चुनाव रुकवाना नहीं, संवैधानिक प्रावधानों से करवाना चाहते हैं। संविधान की धारा 243 सी और डी का मप्र सरकार ने स्पष्ट उल्लंघन किया है। हमें न्यायालय से पूरी उम्मीद, संविधान के प्रावधानो का पालन होना चाहिए। नरसिंहपुर निवासी संदीप पटेल और भोपाल निवासी मनमोहन नागर ने यह याचिका दायर की है।याचिकाओं में 7 साल पुराने परिसीमन और आरक्षण पर चुनाव करवाने को चुनौती दी गई है ।
महाधिवक्ता की मांग पर हाईकोर्ट ने 9 दिसम्बर को अगली सुनवाई तय की है। 9 दिसम्बर को हाईकोर्ट चीफ़ जस्टिस की बेंच एक साथ सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। राज्य शासन (MP Government) की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अवगत कराया कि इस मामले में अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं। कोर्ट (Jabalpur High court) ने सभी याचिकाओं की अगली सुनवाई एक साथ 9 दिसंबर को निर्धारित की है। इसके तहत जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर में लम्बित पंचायत चुनाव सम्बन्धी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी।
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बता दे कि वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर की ओर से दायर याचिका में पंचायत चुनाव कराने को लेकर वर्षगत आधार पर चुनौती दी गई है। वहीं अन्य दो याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। इसके पहले 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया है।
हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा- कांग्रेस
इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जाफर ने ट्वीट कर लिखा है कि पंचायत चुनाव के आरक्षण को रोटेशन के आधार पर करने की माँग पर आज उच्च न्यायालय में हमारी तरफ से देश के बड़े अधिवक्ता विवेक तंखा जी और पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर जी ने पैरवी की उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।हमें उच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है कि वह प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को वापस दिलाएंगे।