भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP Board) में शिक्षा (Education) के स्तर में सुधार को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) लगातार प्रयास कर रहा है। खास करके निजी स्कूलों की तुलना में तेजी से पिछड़ते सरकारी स्कूलों (Government School) पर विभाग का विशेष फोकस बना हुआ है। यह कारण है कि आए दिन विभाग द्वारा बड़े बड़े फैसले और नए नए निर्देश जारी किए जा रहे है।
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एक तरफ 10 वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में रिजल्ट कम आने पर शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली जा रही है, वही दूसरी तरफ टारगेट पूरा ना करने पर शिक्षक और प्राचार्य का इंक्रीमेंट रोकने के साथ-साथ अनुशासनात्मक कार्यवाही की बात कही जा रही है, ऐसे में विभाग द्वारा अब तय किया है कि यदि कक्षाओं में निर्धारित प्रतिशत से कम रिजल्ट आता है तो प्राचार्य जिम्मेदार होंगे।
खबर है कि सरकारी स्कूलों का रिजल्ट सुधारने के चलते स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा यह फैसला लिया गया है। इसके तहत सरकारी हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों व प्राचार्यों को कक्षा-9 के लिए 59%, कक्षा 10 के लिए 64%, कक्षा 11 के लिए 81% और कक्षा 12 के लिए 73% रिजल्ट का प्रतिशत तय किया गया है। अगर इससे प्रतिशत कम आता है तो शिक्षकों के साथ साथ प्राचार्य भी पूर्ण रुप से जिम्मेदार होंगे।अभी तक इसके लिए केवल शिक्षकों पर ही कार्रवाई होती आई है।
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खास बात ये है कि इसके लिए विभाग ने निर्देश भी जारी किए है, जिसमें शिक्षकों से 28 जनवरी छात्रों के कक्षावर प्रतिशत की जानकारी और स्कूल प्रबंधन की तैयारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है। वहीं लक्ष्य पूर्ण करने पर संभागीय संयुक्त संचालक ,जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्यों एवं शिक्षकों को उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए समारोह पूर्वक प्रशास्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।
इतना ही नहीं शिक्षकों और प्राचार्य को कम रिजल्ट आने पर जवाब भी देना होगा और इसके सुधार के लिए सुझाव भी रखने होंगे, ताकी आगामी सत्र में इसे प्रक्रिया में लाया जा सकता। संभावना जताई जा रही है कि विभाग का यह फैसला सरकारी स्कूलों में रिजल्ट सुधारने में कारगार साबित हो सकता है।