भोपाल/नई दिल्ली।
एमपी में कांग्रेस की सरकार के गिरने और कमलनाथ के फ्लोर टेस्ट के पहले इस्तीफा देने के बाद दोनों मुख्य दलों बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी दौर शुरू हो गया है। वही चारों ओर एक ही सवाल की गूंज सुनाई दे रही है अगली किसकी सरकार और मुख्यमंत्री कौन..? इसी बीच इस पूरे खेल में नायक की भूमिका में उभरे पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ा दावा किया है।सिंधिया का दावा है कि अब प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जल्द ही बीजेपी सरकार बनाएगी।बता दे कि सिंधिया दिल्ली में है और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर के घर बैठकों को दौर जारी है। एमपी को लेकर कई रणनीतियां बनाई जा रही है, जिसमें बागी विधायकों और बीजेपी का भविष्य क्या होगा इस पर खास तौर पर चर्चा है।
आज नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि मध्य प्रदेश में 15 महीनों से भ्रष्टाचार की सरकार कायम है। किसानों के लिए किए गए वादे को नहीं निभाया गया है। यहां तक की ना विधायकों की सुनी गई, ना उन्हें बोलने का मौका दिया गया। जब-जब भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई गई, कमलनाथ सरकार ने उस आवाज को दबाने की कोशिश की है। भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी सिंधिया ने कहा कि राजनीति का लक्ष्य जनसेवा होना चाहिए जिसका माध्यम राजनीति हो सकता है। सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नहीं। सरकार बनाने की बात पर आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी जल्दी सरकार बनाएगी।
वही बंगलुरु में बंधक बने 16 विधायकों के सवाल पर बोलते हुए सिंधिया ने बताया कि जनता का विश्वास हासिल करने के लिए दोबारा मैदान में उतरना जरूरी है। जनता के मैदान में उतरने के बाद उनका विश्वास हासिल कर हम जनसेवा के पथ पर कार्य करेंगे। अपने पिता माधव राज सिंधिया के बात करते हुए ज्योतिरादित्य ने कहा कि पिताजी सदैव सत्य के साथ रहते थे और हमारी भी वही कोशिश है। 20 वर्षों से लगातार मैंने सत्य और निष्ठा से कार्य करने की कोशिश की है। वहीं प्रदेश में मुख्यमंत्री एवं विधायक दल के नेता के सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह फैसला पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व तय करेगी।
दरअसल कमलनाथ सरकार के इस्तीफा देने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर सरकार गिरने को जनता की जीत करार दिया था। उन्होंने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकार जनसेवा की विचारधारा से भटक गई थी। वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ ने इस्तीफे के बाद ट्वीट करते हुए कहा था कि लोभी प्रलोभी नीतियों के आगे आज सत्य और विश्वास की हार हुई है।