भोपाल। मध्य प्रदेश की सात सीटों पर कांग्रेस अब तक निर्णय नहीं ले पा रही है। ग्वालियर और गुना सीट पर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण अब तक फैसला टल रहा है। वहीं, धार, इंदौर, विदिशा, राजगढ़ और भिंड में भी पार्टी के कई नेता रोड़ा बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक धार में जय आदिवासी संगठन (जयस) के दबाव में उम्मीदवार को ऐलान अटका है। वहीं, विदिशा और इंदौर सीट पर कांग्रेस बीजेपी के पत्तों का इंतजार कर रही है।
दरअसल, कांग्रेस ने अब तक 29 में से 22 नाम तय कर लिए हैं। लेकिन सात सीटों पर अब भी पेंस फंसा है। प्रदेश के महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड की सीटों पर फैसला हो चुका है। लेकिन भोपाल संभाग समेत चंबल और मालवा सीट अभी भी अटकी हैं। गुना और ग्वालियर सीट पर लगातार सिंधिया परिवार से ही किसी को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग की जा रही है। बताया जा रहा है सिंधिया पर प्रियदर्शनी राजे को चुनाव लड़ाने का दबाव है। यही वजह है कि गुना सीट पर फैसला नहीं हो पा रहा है। लेकिन सिंधिया नहीं चाहे कि उनकी पत्नी चुनाव लड़ें। क्योंकि उनपर दोहरी जिम्मेदारी आ जाएगी। और वह किसी एक जगह ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए ग्वालियर से अशोर सिंह का नाम पर भी विचार चल रहा है। उनके अलावा ग्वालियर से सुनील शर्मा, केदार कंसाना या मोहन सिंह राठौर के नाम को आगे बढ़ाए गए हैं। वहीं, भिंड में भाजपा के पूर्व सांसद अशोक अर्गल के कांग्रेस में आने की संभावना कम होने से मामला अब गोविंद सिंह व सिंधिया के बीच लटक गया है।
इधर, धार में कांग्रेस के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का नाम पैनल में होने के बावजूद घोषित नहीं होने के पीछे जयस का दबाव बताया जा रहा है। जयस नेता डॉ. हीरा अलावा पहले खरगोन सीट पर अपना प्रत्याशी चाह रहे थे, जिसमें जयस के दूसरे गुट के नेता को पार्टी ने टिकट दे दिया। सूत्र बताते हैं कि अब कांग्रेस डॉ. अलावा गुट को संतुष्ट करने उनके प्रत्याशी भगवान सिंह सोलंकी का नाम घोषित कर सकती है। डॉ. अलावा ने चेतावनी दी है कि अगर कांग्रेस ने धार से उनके नेता को टिकट नहीं दिया तो वे जयस समर्थित प्रत्याशी का खुलकर प्रचार करेंगे।