भोपाल। कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ बैकफुट पर नज़र आ रहे हैं। वह सरकार बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस में आपसी कलाह के कारण कई मंत्री खफा हैं। वहीं, कई अन्य विधायक मंत्री बनने की रेस में शामिल हैं। सिंधिया खेमे के दो मंत्रियों की सीएम कमलनाथ के साथ हुई तीखी बहस के बाद अब पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा संभाला है। वह गुरुवार को राजधानी पहुंचे हैं। यहां वह मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ लंच करेंगे साथ ही मंत्रियों की नाराज़गी पर भी चर्चा की जाएगी।
दरअसल, बीते दिनों कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ और खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बीच तीखई बहस हुई थी। तोमर के समर्थन में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी आ गए थे। इस बहस से जनता में एक बार फिर यह संदेश गया था कि कांग्रेस में खेमेबाज़ी अभी भी हावी है। सीएम चाहते हैं कैबिनेट विस्तार हो और कांग्रेस और अन्य विधायकों को कैबिनेट में मौका दिया जाए। इसके लिए उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाना है जिनका रिपोर्ट कार्ड खास नहीं है। इसमें इन दोनों मंत्रियों का नाम भी शामिल होने की चर्चा थी। जिसकी भनक लगने के बाद दोनों मंत्री बिफर गए। ऐसी रणनीति बनाई गई कि अगर किसी एक मंत्री से इस्तीफा मांगा जाता है तो सभी सिंधिया समर्थक इस्तीफा देंगे। कुछ दिने के लिए यह मामला ठंडेबस्ते में चला गया था। लेकिन दक्षिण और गोवा की सियासत के बाद कमलनाथ एक बार फिर एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। वह नहीं चाहते एमपी में भी ऐसे हालात बनें। अगर सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दे दिया तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ सकती है। यही नहीं इस कदम से बाज़ी बीजेपी के पाले में जा सकती है। बीजेपी पहले से ही दावा कर रही है कि यह सरकार खुद की गुटबाजी से गिर जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सिंधिया को लंच पर बुलाया है। वह इस मसले को जल्द निपटाना चाहते हैं जिससे बाहर ये संदेश जाए कि पार्टी एकजुट है और सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है। सिंधिया गुट के मंत्रियों को लेकर भी इस पर गंभीर चर्चा होनी है। दिल्ली दौरे को दौरान कमलनाथ ने सिंधिया से मुलाकात की थी। उन्होंने इस मसले को जल्द ही सुलझाने के लिए कहा था। अब सिंधिया भोपाल आएं हैं तो सियासी गलियारों में इस तरह की चर्चा है कि मुख्यमंत्री इस विवाद को सुलझाने के बाद कैबिनेट विस्तार और निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर कदम उठाएंगे। विधानसभा सत्र के बाद यह इस काम को अंजाम दिया जाना है।