शिवराज सरकार ने एक हत्याकांड में प्रज्ञा ठाकुर को दो बार किया था गिरफ्तार

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भोपाल। मध्य प्रदेश की सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीट भोपाल से भाजपा ने साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को अपना प्रत्‍याशी बनाया है। इस सीट पर प्रज्ञा सिंह का पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह से मुकाबला होगा। कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय को मात देने के लिए भाजपा ने साध्वी का सहारा लिया है| लेकिन मजेदार तथ्य यह है कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में प्रज्ञा ठाकुर को दो बार गिरफ्तार किया है। बाद में कोर्ट के आदेश पर एनआईए ने इसकी जांच की। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ हत्या के मामले में एनएआईए ने चालान पेश किया। यह बात भी सही है कि देवास की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में प्रज्ञा ठाकुर सहित 8 आरोपियों को बरी कर दिया था।

 भोपाल में चुनाव बड़ा मजेदार होगा। जिस शिवराज सिंह चौहान की पुलिस ने प्रज्ञा ठाकुर को हत्या का आरोपी मानकर दो बार गिरफ्तार किया वही शिवराज सिंह चौहान प्रज्ञा ठाकुर के लिए वोट मांगेंगे। दरअसल भोपाल में प्रज्ञा ठाकुर भाजपा नहीं संघ के चेहरे के रूप में मैदान में उतारा हैं। प्रज्ञा ठाकुर पर कई गंभीर आरोप लगे, लेकिन किसी भी मामले में उन्हें अभी तक सजा नहीं हुई है। यह सही है कि सरकार बदलते ही प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ चल रही जांच भी बदल जाती है।

सुनील जोशी हत्याकांड

संघ के प्रचारक सुनील जोशी की 29 दिसम्बर 2007 को देवास में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर को 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया। प्रज्ञा ठाकुर के अलावा भी अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। 25 मार्च 2009 को पुलिस अधीक्षक देवास के आदेश पर इस मामले में  खात्मा क्रमांक 12/25-5-2009 लगा दिया गया। एक साल बाद 9 जुलाई 2010 को शिवराज सरकार ने इस मामले को पुन: खोला और नए सिरे से विवेचना शुरू की गई। शिवराज की पुलिस ने 26 फरवरी 2011 को इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर को फिर से गिरफ्तार किया। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर पहले से ही मालेगांव बम ब्लास्ट के मामले में एनआईए की हिरासत में थीं। मप्र पुलिस ने इस मामले में राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश से कई आरोपियों की गिरफ्तारियां कीं। 2011 में इंदौर हाईकोर्ट के निर्देश पर यह जांच एनआईए को दे दी गई। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद एनआईए ने अपनी जांच की दिशा मोड़ दी। 19 अगस्त 2014 को भोपाल कोर्ट में एनआईए ने चालान पेश किया। बाद में यह केस देवास जिला न्यायालय में ट्रांसफर हुआ। 1 फरवरी 2017 को देवास के एडीजे राजीव कुमार आप्टे ने सभी 8 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया। 


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